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26 मई 2009
स्टॉकिस्टों की बिकवाली से हल्दी टूटी
वियतनाम से आयात बढ़ने और स्टॉकिस्टों की बिकवाली से घरेलू बाजार में हल्दी की कीमतों में करीब छह फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। घरेलू बाजार में आई गिरावट का असर वायदा कारोबार पर भी देखा गया। शनिवार को एनसीडीईएक्स पर जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में चार फीसदी की गिरावट आई। हालांकि उत्पादक मंडियों में हल्दी की दैनिक आवक घट गई है लेकिन रुपये के मुकाबले डॉलर में आई गिरावट से निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बारिश होने से बुवाई क्षेत्रफल में भी बढ़ोतरी की संभावना है। ऐसे में हल्दी के मौजूदा भावों में और भी गिरावट की संभावना है।पूनम चंद गुप्ता ने बिजनेस भास्कर को बताया कि भारतीय आयातकों द्वारा वियतनाम के करीब 20 कंटेनर हल्दी का आयात किया जा चुका है। आयात बढ़ने से घरेलू बाजार में स्टॉकिस्टों की बिकवाली भी पहले की तुलना में बढ़ गई है जिससे इसकी गिरावट को बल मिला है। निजामाबाद मंडी में शनिवार को हल्दी की कीमतें घटकर 5350 रुपये प्रति क्विंटल रह गई जबकि यहां इसकी दैनिक आवक भी घटकर 1500-2000 बोरी (एक बोरी-70 किलो) की रह गई है। निजामाबाद में हल्दी का करीब ढाई लाख बोरी का स्टॉक हो चुका है। चालू सीजन में हल्दी किसानों को अच्छे दाम मिले हैं इसलिए हल्दी के बुवाई क्षेत्रफल में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी होने की संभावना है। मुंबई हेमन रुपारल ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होने से निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 के (अप्रैल-08 से फरवरी-09 ) तक देश से हल्दी का निर्यात बढ़कर 49,000 टन का हुआ है। जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में इसका 44,360 टन का ही निर्यात हुआ था। चालू सीजन में देश में हल्दी की कुल उपलब्धता (उत्पादन और बकाया स्टॉक) पिछले साल से कम है। इसलिए स्टॉकिस्टों की बिकवाली से हल्दी की मौजूदा कीमतों में 150-200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट तो आ सकती है लेकिन भारी गिरावट की संभावना नहीं है। इरोड़ हल्दी मर्च्ेट एसोसिएशन के सुभाष गुप्ता ने बताया कि चालू सीजन में हल्दी की पैदावार 42 लाख बोरी होने की संभावना है। जबकि पिछले वर्ष इसका उत्पादन 43 लाख बोरी का हुआ था। पिछले वर्ष नई फसल की आवक के समय उत्पादक राज्यों की मंडियों में बकाया स्टॉक लगभग 13-14 लाख बोरी का बचा हुआ था। चालू वर्ष में बकाया स्टॉक मात्र चार से पांच लाख बोरी का ही बचा हुआ है। ऐसे में चालू सीजन में देश में हल्दी की कुल उपलब्धता 46-47 लाख बोरी की ही होगी। घरेलू व निर्यात मांग को मिलाकर हल्दी की सालाना खपत करीब 45-46 लाख बोरी की होती है। इरोड़ मंडी में हल्दी के भाव घटकर 5700 रुपये प्रति क्विंटल रह गये। यहां इसकी दैनिक आवक करीब आठ हजार बोरी की हो रही है। इरोड़ में हल्दी का आठ लाख बोरी का स्टॉक हो चुका है। हाजिर बाजार में आई गिरावट के असर से एनसीडीईएक्स पर जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में शनिवार को चार फीसदी की गिरावट आकर भाव 5107 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। (Businss Bhaskar....R S Rana)
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