09 मई 2009

गलत प्रमाण देने वाली सर्टिफिकेशन एजेंसियों पर जुर्माना

नई दिल्ली- भारत में कामकाज करने वाली दो बहुराष्ट्रीय सर्टिफिकेशन (प्रमाणन) एजेंसियों को ऑर्गेनिक कपास से जुड़े नियमों के उल्लंघन मामले में जुर्माना लगाया गया है। सर्टिफिकेशन एजेंसियों, सीयूसी और इकोसर्ट एसए इंडिया को नियमों की अनदेखी करने के मामले में सरकार ने बड़ा जुर्माना लगाया है। इकोसर्ट एसए पर 7.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाने वाली नेशनल एक्रेडिटेशन बॉडी (एनएबी) ने अपने आदेश में कहा है, 'बीजों को जैविक श्रेणी का प्रमाण पत्र देने वाली एजेंसी इकोसर्ट ने एक बार भी बीजों के स्त्रोत की जांच या प्रयोगशाला में परीक्षण से इस बात की पुष्टि की जरूरत नहीं समझी कि वे बीज जीएमओ (बीटी कॉटन) हैं। यह साफ है कि इकोसर्ट द्वारा ड्यू डिलिजेंस प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं किया गया है।' औरंगाबाद की इकोसर्ट एसए इंडिया फ्रांस की बड़ी सर्टिफिकेशन कंपनी इकोसर्ट एसए की सहयोगी इकाई है एनएबी ने हॉलैंड की कंट्रोल यूनियन सर्टिफिकेशन (सीयूसी) की भारतीय शाखा के बारे में एक अलग आदेश में कहा, 'बाजार में मौजूद व्यावसायिक बीज या तो बीटी कॉटन थे या उनमें रसायनों का इस्तेमाल किया गया था।' किसानों को ये बीज एनजीओ द्वारा मुहैया कराए गए। उनका कहना है कि सीयूसी ने किसानों के रिकॉर्ड के बारे में कड़ाई से जांच नहीं की थी। एनएबी ने सीयूसी पर 15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। मामले की जानकारी के लिए जब इकोसर्ट इंडिया के कंट्री प्रतिनिधि सेल्वम डैनियल से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बात से साफ इंकार कर दिया कि बीटी कॉटन को ऑर्गेनिक कॉटन होने का प्रमाणपत्र देने के लिए कंपनी पर किसी तरह का जुर्माना लगाया गया है। वहीं दूसरी तरफ सीयूसी ने इस मामले में भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं दिया। डैनियल ने कहा, 'हमलोग पूरी तरफ साफ कर देना चाहते हैं कि बीटी कॉटन को ऑर्गेनिक कॉटन प्रमाणित करने के किसी मामले में कंपनी पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया है।' (ET Hindi)

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