11 मई 2009

ऊंचे भाव पर सरसों मील की मांग घटने से भाव में नरमी

सोयामील का निर्यात अप्रैल में कम पड़ने के विपरीत सरसों मील (खली) का अप्रैल में निर्यात पिछले साल के इसी माह के मुकाबले करीब 56 फीसदी बढ़ गया। इससे अप्रैल में सरसों मील के भाव में खासी तेजी देखने को मिली। लेकिन अब इसकी निर्यात मांग कमजोर पड़ने लगी है। इससे भाव में नरम दिखाई दे रही है। पिछले एक सप्ताह में सरसों खली के भावों में करीब पांच फीसदी की गिरावट देखने को मिली। इससे अब सरसों के भावों में ठहराव की संभावना व्यक्त की जा रही है।सरसों खली निर्यात बढ़ने के कारण श्रीगंगानगर में हाजिर में इसके भाव एक मई को 1312 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। इस तरह मार्च से मई के शुरू तक दो महीनों में सरसों खली पचास फीसदी महंगी हो गई थी। इसके बाद ऊंचे भावों पर निर्यातकों की लिवाली कमजोर पड़ने से पिछले आठ दिन में सरसों खली के भाव करीब पांच फीसदी की गिरावट से भाव 1250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सरसों के भावों में ठहराव आने की सभावना व्यक्त की जा रही है।साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार नए वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में देश से तिलहनों की खली निर्यात में 64 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। लेकिन इसके विपरीत अप्रत्याशित रूप से सरसों खली का निर्यात करीब 56 फीसदी बढ़कर 102187 टन पर पहुंच गया। पिछले वर्ष अप्रैल में 65100 टन सरसों खली का निर्यात हो पाया था। यह भी महत्वपूर्ण है पिछले वर्ष जनवरी से मार्च तक तीन महीनों में सरसों खली का निर्यात बढ़ा था और अप्रैल में निर्यात में गिरावट दर्ज की गई थी। इसके उलट इस बार जनवरी से मार्च तक सरसों खली के निर्यात में गिरावट और अप्रैल में जोरदार उछाल देखने को मिला है। सरसों खली के निर्यात और भावों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के बार में कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने से आमतौर पर कैटल फीड में सोया खली का ही उपयोग किया जाता है। लेकिन इस साल सोया खली का स्टॉक कम होने और कीमतों में जोरदार तेजी के चलते खासतौर पर चीन के आयातकों ने सरसों खली को ज्यादा तरजीह दी। निर्यात बढ़ने की वजह से मार्च से अब तक सरसों खली के भाव 34 फीसदी से ज्यादा बढ़े, जबकि सोया खली में सिर्फ 31 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। उधर, सरसों व सोया खली के भावों के बीच अंतर में भी फिर कमी आना शुरू हो गया है। एक मार्च को सरसों और सोया खली के भावों के बीच 1131 रुपए क्विंटल का अंतर था, जो एक अप्रैल तक बढ़कर 1260 रुपए तक हो गया था लेकिन निर्यात मांग में कमी आने के साथ ही सोया व सरसों खली के भावों में अंतर फिर घटकर 1150 रुपए क्विंटल रह गया है। कमोडिटी विश्ेाषज्ञ चंद्र प्रकाश गोयल का कहना है कि सरसों खली की निर्यात मांग अब सुस्त पड़ने के कारण इस महीने सरसों खली के भावों पर और दबाव देखने को मिल सकता है। लेकिन खाद्य तेल की मांग निकलने की संभावना से सरसों में कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार कम है। भरतपुर के थोक व्यापारी पूरणमल अग्रवाल का कहना है कि अब दिल्ली में नई सरकार के गठन के बाद ही सरसों और सरसों खली के भावों को दिशा मिलेगी। जब तक सरसों में विशेष तेजी-मंदी की संभावना कम है। (Buisness Bhaskar)

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