नई दिल्ली : महंगाई दर
MS">और इंडस्ट्री की विकास दर दोनों के गोता लगाने का सिलसिला जारी है। 28 मार्च को खत्म हफ्ते में महंगाई दर गिरावट 0.26 परसेंट पर आ गई है , जो एक हफ्ते पहले 0.31 परसेंट पर थी। यानी इसमें 0.05 परसेंट की मामूली गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल इस हफ्ते में महंगाई दर 7.75 परसेंट रही थी। फरवरी महीने में इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन का इंडेक्स ( IIP ) नेगटिव 1.2 परसेंट रहा है। महंगाई दर में पिछले कुछ हफ्तों से गिरावट दर्ज की जा रही है , उसे देखने हुए जानकारों की राय है कि आने वाले दिनों में यह गिरकर जीरो परसेंट या फिर नेगटिव जोन में जा सकती है। इकॉनमी की भाषा में ऐसी स्थिति को डिफ्लेशन कहा जाता है। ईटी की पाठशाला: डिफ्लेशन क्यों है इकॉनमी का सबसे डरावना शब्द अर्थशास्त्रियों का ये भी कहना है कि इनफ्लेशन कम होने का ये मतलब नहीं है कि चीजों के दाम कम हो गए हैं। इनफ्लेशन दर का घटना सिर्फ ये बताता है कि चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की दर में गिरावट आई है न कि कीमत में। सरकार की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक , जनवरी के आईआईपी के आंकड़ों को रिवाइज कर 0.4 परसेंट किया गया है , जो पहले नेगटिव था। आईएनजी वैश्य बैंक की इकनॉमिस्ट दीपाली भार्गव का कहना है कि महंगाई दर के आंकड़े उम्मीद से कुछ कम हैं। हालांकि भार्गव को उम्मीद है महंगाई दर अगले हफ्ते नेगटिव जोन में पहुंच जाएगी। भार्गव का कहना है कि आईआईपी के आंकड़े उम्मीद के मुताबिक हैं और मार्च के लिए इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन के आंकड़े भी नेगटिव रहने के ही आसार हैं। (ET Hindi)
09 अप्रैल 2009
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