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07 अप्रैल 2009
गेहूं खरीद में यूपी पिछड़ा
हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में जहां गेहूं की सरकारी खरीद ने गति पकड़नी शुरू कर दी है वहीं उत्तर प्रदेश सरकारी खरीद में पिछड़ गया है। सुचारू रूप से सरकारी खरीद न होने के कारण उत्तर प्रदेश में किसानों को गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 70 से 130 रुपये प्रति क्विंटल नीचे बेचना पड़ रहा है। चालू फसल सीजन के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1080 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन उत्तर प्रदेश की मंडियों में नया गेहूं 950 से 1010 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है।आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर हरियाणा में 47,000 टन, मध्य प्रदेश में 48,000 टन, पंजाब में 30,000 टन और राजस्थान में 8,000 टन की खरीद कर चुका है जबकि उत्तर प्रदेश में अभी तक मात्र 1,000 टन की सरकारी खरीद हो पाई है। भारतीय रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि हरियाणा और पंजाब में तो गेहूं की सरकारी खरीद तय लक्ष्य से ज्यादा होने की संभावना है लेकिन उत्तर प्रदेश में यह लक्ष्य से कम रह सकती है। उन्होंने बताया कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद आढ़ितयों के माध्यम से की गई थी लेकिन इस बार राज्य सरकार की एजेंसियां किसानों से सीधे खरीद कर रही हैं।हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में एफसीआई की सरकारी खरीद लगातार होने से यहां की मंडियों में गेहूं के भाव 1080 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। मध्य प्रदेश में सरकारी खरीद पर राज्य सरकार द्वारा 50 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया जा रहा है। अत: यहां की मंडियों में गेहूं के भाव 1130 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद के अभाव में किसानों को 950 से 1010 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचना पड़ रहा है। राज्य की शाहजहांपुर मंडी परिषद के आर.डी. गंगवार ने बताया कि मंडी में गेहूं की आवक बढ़कर 23,000 क्विंटल की हो गई है। राज्य सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए खरीद केंद्र तो खोल दिए हैं, लेकिन अभी तक सरकारी खरीद सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाई है। इसलिए किसानों को मजबूरन 950 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सरकारी एजेंसियां किसानों को भुगतान करने में कम से कम दस-पंद्रह दिन का समय लगा देती हैं जबकि व्यापारी किसानों को तुरंत भुगतान कर देते हैं। इसलिए भी किसान सरकारी कांटों पर न जाकर मंडियों में आढ़तियों को गेहूं की बिकवाली कर रहे हैं।हरदोई मंडी समिति के अधिकारी शिवराज सिंह ने बताया कि गेहूं की आवक बढ़कर 10,000 क्विंटल हो गई है लेकिन सरकारी खरीद शुरू न होने से किसान 950 से 980 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेच रहे हैं। पीलीभीत और मथुरा की मंडियों में भी गेहूं की दैनिक आवक बढ़कर क्रमश: 12,000 व 10,000 क्विंटल हो गई है। यहां भाव क्रमश: 950 व 1010 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। एफसीआई के कार्यकारी निदेशक (उत्तर भारत) जे.पी. शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश डी-सेंट्रलाइज्ड राज्य होने के कारण यहां गेहूं की सरकारी खरीद राज्य सरकार की एजेंसियों के माध्यम से हो रही है। चालू सीजन में उत्तर प्रदेश में 30 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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