नई दिल्ली। खाद्य तेलों की कीमतों में चल रही तेजी, की समीक्षा के लिए सरकारी अधिकारियों की बैठक हो रही है। सूत्रों के अनुसार कीमतों में कमी करने के लिए सरकार खाद्य तेल पर 'आयात शुल्क में कटौती' करने पर विचार करती है, इसी का असर है कि दोपहर बाद तिलहन एवं खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई है।
खाद्य मंत्रालय ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती के फैसले की समीक्षा करने के लिए मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह को प्रस्ताव भेजा है। पिछले एक साल में खाद्य तेल की कीमतों में 35-95 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सरसों के तेल के दाम लगभग दोगुने हो गए जबकि सूरजमुखी के तेल की दरों में 95 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई और मूंगफली और सोया तेल की कीमतों में 50 फीसदी की तेजी देखी गई। सरकार ने बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए नवंबर में आयात शुल्क में 10 फीसदी की कटौती की घोषणा की थी। बजट घोषणा के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खाद्य तेलों के लिए आयात शुल्क और कस्टम ड्यूटी को घटा दिया था।
कच्चे पाम तेल पर मूल आयात शुल्क पहले 27.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी किया गया था और सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल पर मूल कस्टम शुल्क भी 35 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया था। हालाँकि, सरकार के उपायों के परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं क्योंकि निर्यातक देशों ने कीमतों में बढ़ोतरी कर दी।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरकार से अनुरोध किया था कि वह अगले छह महीनों के लिए टैरिफ दर को 'फ्रीज करें' और सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पीडीएस के माध्यम से सब्सिडी युक्त खाद्य तेलों का वितरण करे।
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