नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से गुरूवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित मसूर, चना एवं काबूली चना की कीमतों में तेजी आई जबकि उड़द के साथ ही अरहर के दाम स्थिर बने रहे।
व्यापारियों के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 75.14 के स्तर पर पहुंच गया, जिससे दलहन आयात महंगा हो जायेगा।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा की मसूर के दाम मुंबई, मुंद्रा, कांडला और हजीरा बंदरगाह पर साथ ही ऑस्ट्रेलिया की मसूर के भाव 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल तेज हो गए। आयात पड़ते नहीं लगने के कारण मसूर का आयात संभव नहीं है। आयातित स्टॉक कम होने के कारण मिलर्स और बड़े खरीददार आगे घरेलू मसूर की खरीद ज्यादा करेंगे जिससे तेजी को बल मिल रहा है। आयातित मसूर का स्टॉक दिन प्रति दिन कम हो रहा है इसलिए देसी मसूर में मिलों की मांग बढ़ेगी। कोरोना के मामलों में हो रही बढ़ोतरी होने के कारण देश के कई राज्यों में फिर से लाकडॉन का खतरा बना हुआ है, जिससे मसूर की आवक प्रभावित होने का डर है।
आयातित हाजिर स्टॉक कम होने एवं मिलों की मांग बढ़ने से तंजानिया लाईन के चना के साथ ही सूडान के काबुली चना की कीमतों में 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।
बर्मा की उड़द एफएक्यू नई और पुरानी के दाम मुंबई में क्रमश: 7,550 और 7,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
मिलों की सीमित खरीद के कारण लेमन अरहर के दाम 6,800 रुपये और अरुषा अरहर के 6,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अप्रैल वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 124 रुपये की तेजी आई, जबकि मई वायदा अनुबंध में इसके भाव में 97 रुपये का सुधार आया।
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