आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ राजस्थान सरकार ने शनिवार को तीन विधेयक पेश किए। इससे पहले पंजाब में कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस ने पहले ही बिल पारित किया था।
कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन सहित, कृषि सेवा कर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 परित, केंद्रीय अधिनियम में संशोधन के तहत नया क्लॉज जोड़ा गया है। किसी फसल के विक्रय के लिए करार तब तक विधिमान्य नहीं होगा, जब तक करार में तय कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक न हो, यानि किसानों को एमएसपी के बराबर या अधिक कीमत जरुर मिलेगी। करार के तहत बेची फसल पर राज्य की फीस या उपकर लागू होंगे, इस राशि का उपयोग कृषकों के कल्याण, मंडियों के विकास पर होगा, लेकिन यह फीस किसानों से वसूल नहीं की जायेगी।
यदि कोई व्यापारी कृषकों का उत्पीड़न करता है तो होगी कार्यवाही। कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष तक कारावास, व्यापारी पर उत्पीड़न के आरोप में 5 लाख का जुर्माना लगेगा। यदि कोई कंपनी है दोषी, तो समस्त निदेशक माने जायेंगे दोषी, या फिर सीमित दायित्व की फर्म होने पर सभी भागीदार होंगे दोषी। यदि व्यापारी करार के तहत फसल नहीं खरीदता, या खरीदी गई फसल का 3 दिन में किसान को भुगतान नहीं करता, उस स्थिति में माना जायेगा किसान का उत्पीड़न।
संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने आवश्यक वस्तु और विशेष सेवाएं (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौते, आवश्यक 2020 और किसान सेवा (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 और किसानों को व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) और राजस्थान संशोधन विधेयक पेश किया। बता दें कि इससे पहले मंत्री ने विधानसभा सत्र के पहले दिन प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 भी पेश किया था।
माना जा रहा है कि आज विधानसभा के पटल पर यह कृषि विधेयक पेश किए होने के बाद 1 नवंबर को इस पर चर्चा होगी और 2 नवंबर को इसे पारित किया जाएगा। धीरे-धीरे अब केंद्र सरकार पारित कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें बिल पेश करना शुरू कर रही है। कांग्रेस इस बिल को लगातार किसान विरोधी बता रही है, हालांकि भाजपा की तरफ से इस बिल को किसानों के लिए बेहतर बताया जा रहा है। देशभर में इस कानून के खिलाफ खासकर कांग्रेस शासित राज्यों में विरोध हो रहा है।............ आर एस राणा
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