आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण सोया डीओसी के निर्यात में भारी गिरावट आई है। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में अगस्त अंत तक सोया डीओसी का निर्यात 68.84 फीसदी घटकर 6.57 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में 21.09 लाख टन का निर्यात हुआ था।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के अनुसार पिछले साल 93.06 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि 1.70 लाख टन नई फसल की आवक के समय बकाया बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 94.76 लाख टन की बैठी थी। सोयाबीन का आयात करीब 5 लाख टन और सितंबर 2020 में उत्पादक मंडियों में नई फसल 2 लाख टन आने का अनुमान है। ऐसे में करीब 101.76 लाख टन सोयाबीन की उपलब्धता रही, जिसमें से इसमें करीब 12 लाख टन सोयाबीन की खपत बीज में हुई है, ऐसे में क्रेसिंग के लिए 89.76 लाख टन की उपलब्धता चालू सीजन में रही है।
सोपा के अनुसार अक्टूबर 2019 से अगस्त 2020 तक मंडियों में सोयाबीन की दैनिक आवक 75.45 लाख टन की हुई है। पहली सितंबर को प्लांटों के साथ ही किसानों के पास सोयाबीन का बकाया स्टॉक 11.70 लाख टन का बचने का अनुमान है जोकि इसके पिछले साल के 7.85 लाख टन से ज्यादा है। महाराष्ट्र के सोयाबीन कारोबारी के अनुसार मध्य प्रदेश में फसल को नुकसान तो हुआ है लेकिन नुकसान के बाद भी चालू फसल सीजन में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 110 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है जबकि मंडियों में पहली अक्टूबर को बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचेगा। इसलिए चालू सीजन में कुल उपलब्धता पिछले साल से ज्यादा ही रहेगी, जबकि सोया डीओसी में निर्यात मांग कमजोर है। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है इसलिए आगे सोयाबीन दैनिक आवक बढ़ेगी, इसलिए सोयाबीन की कीमतों में अभी तेजी की संभावना नहीं है। ............. आर एस राणा
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