आर एस राणा
नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की सक्रियता से सरसों की कीमतों में तेजी बनी हुई है, राजस्थान की मंडियों में गुरूवार को कंडीशन की सरसों के भाव बढ़कर 4,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। हालांकि उंचे भाव में सरसों तेल और खल में मांग कमजोर है, लेकिन विदेशी बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में फिर सुधार आया है, जिसकी वजह से ही स्टॉकिस्ट भाव तेज कर रहे हैं।
भरतपुर मंडी में सरसों कारोबारी ने बताया कि सरसों खल के भाव बढ़कर 2,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं जबकि सरसों तेल के भाव 1,030 से 1,040 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए, हालांकि उंचे भाव में मांग कमजोर है, जिस कारण घरेलू मंडियों में एक बार सरसों की कीमतों में नरमी आने का अनुमान है। भाव उंच है, जिस कारण आगे मुनाफावसूल भी आ सकता है, लेकिन स्टॉकिस्ट भविष्य में सरसों के भाव और तेजी मान रहे हैं। माना जा रहा है कि आगे इसके भाव बढ़कर 5,400 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकते हैं।
जानकारों के अनुसार कोरोना वायरस के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में सरसों की पेराई घटकर 6 से 6.50 लाख टन की ही हुई है, जोकि पिछले साल अप्रैल के मुकाबले कम है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान 21 लाख टन सरसों की पेराई ही ही हुई है, जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले करीब 10 फीसदी कम है। व्यापारियों के अनुसार वायदा में हो रही सट्टेबाजी से सरसों की कीमतें महज 3 महीने में करीब 30 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं।
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में सरसों का उत्पादन घटकर 87.03 लाख टन ही होने का अनुमान है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 92.56 लाख टन से कम है। उद्योग के अनुसार चालू सीजन में 76 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले साल 81 लाख टन का उत्पादन हुआ था। सामान्यत: देश में सरसों की सालाना खपत 70 से 75 लाख टन की होती है, जबकि चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों अप्रैल, मई और जून में लॉकडाउन के कारण खपत में कमी आई है। सार्वजनिक कंपनी नेफेड के पास 8 लाख टन से ज्यादा का सरसों का स्टॉक है।
जानकारों के अनुसार सरसों की कीमतों में तेजी कुछ हद तक विश्व बाजार में सोया और पाम तेल की कीमतों में हाल में हुई बढ़ोतरी के कारण भी आई है। हालांकि ब्राजील में इस साल सोयाबीन की रिकॉर्ड पैदावार 13.26 करोड़ टन अनुमान है और अमेरिका के भारत में भी सोयाबीन का रकबा पिछले साल से बढ़ा हुआ है। इसलिए सरसों की कीमतों में मुनाफासूली से एक बार मंदा आने की उम्मीद है। ............. आर एस राणा
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