आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बासमती के साथ ही गैर-बासमती चावल के निर्यात में ढील दी है। अब चुनिंदा देशों को छोड़कर यूरोप के बाकी देशों में निर्यात के लिए इंस्पेक्शन सर्टिफिकेट लेने की जरुरत नहीं होगा। हालांकि इससे चावल और धान की कीमतों में अभी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार निर्यातकों को बासमती चावल के साथ ही गैर बासमती चावल के निर्यात के लिए यूरोपीय देशों स्विट्जरलैंड, नार्वे, आइसलैंड, लीकटेन्स्टीन के अलावा किसी भी अन्य देश को बासमती या फिर गैर बासमती चावल के निर्यात के निर्यात को इंस्पेक्शन सर्टिफिकेट लेने की जरुरत नहीं होगी। यह पहली जनवरी 2021 से प्रभावी होगा।
व्यापारियों के अनुसार बासमती चावल में निर्यात मांग तो ठीक है, लेकिन घरेलू मंडियों में धान का बकाया स्टॉक ज्यादा है, साथ ही अगले महीने उत्तर प्रदेश लाईन से पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक बनेगी तथा अक्टूबर, नवंबर में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में नई फसल आनी शुरू हो जायेगी, इसलिए धान के साथ ही चावल की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। हरियाणा की मंडियों में पूसा 1,121 बासमती धान के भाव 3,150 से 3,200 रुपये और सेला चावल के भाव 5,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे। पूसा 1,509 पुराने धान के भाव 2,300 से 2,400 रुपये और ट्रेडिशनल बासमती धान के भाव 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में धान की रोपाई 17.36 फीसदी बढ़कर 321.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। जबकि पिछले साल इस अवधि में 274.19 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई ही हो पाई हुई थी। सामान्यत: धान की रोपाई खरीफ सीजन में 397.29 लाख हेक्टेयर में होती है। ............... आर एस राणा
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