आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी दालों का आयात करने वाले आयातकों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा कि बंदरगाहों पर अटकी दालों को क्लीयरेंस नहीं दी जायेगी, हां आयातक चाहे तो इनका निर्यात कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने बंदरगाह पर अटकी पड़ी दालों को क्लीयरेंस देने के मना कर दिया है। आयातकों को राहत के तौर पर महज इतनी ही छूट है कि वे चाहें तो उस स्टॉक को दोबारा निर्यात कर सकते हैं। पिछले साल विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने दलहन आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगाते हुए दालों के आयात का कोटा जारी किया था, लेकिन कुछ आयातकों ने डीजीएफटी की अधिसूचना पर स्टे हासिल करके ज्यादा मात्रा में दालों का आयात कर लिया था। आयातकों ने कोर्ट में दलील दी थी कि उन्होनें सरकार के फैसले से पहले ही दलहन के आयात सौदे ज्यादा मात्रा में कर लिए थे, इसलिए सरकार आयात की अनुमति दे। जानकारों के अनुसार बंदरगाहों पर करीब 3 लाख टन से ज्यादा आयातित दालों पड़ी हुई हैं, जिनको क्लीयरेंस नहीं मिल पाई है।
चालू खरीफ में दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है तथा मसूर को छोड़ अन्य दालों के भाव पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं, ऐसे में बंदरगाहों पर अटकी दालों को क्लीयरेंस देने से घरेलू बाजार में इनकी कीमतों पर और दबाव बनेगा। दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 6.77 फीसदी बढ़कर 132.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 124.14 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है।......... आर एस राणा
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