आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी मिलें, तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) और बैंक मिलकर ऐथनॉल खरीद के भुगतान के लिए ‘एस्क्रो खाता’ खोलने का समझौते करने की तैयारी में हैं। खाद्य मंत्रालय ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।
एस्क्रो खाता ऐसे खाते को कहा जाता है, जिसमें कोई तीसरा पक्ष दो अन्य पक्षों की तरफ से तय उद्देश्यों के लिये लेन-देन करता है। मंत्रालय ने कहा कि इस पहल से चीनी मिलें डिस्टलरी की स्थापना के लिए कम ब्याज पर ऋण का लाभ उठा सकेंगी। बैंक अब उन चीनी मिलों को भी ऋण देने पर विचार कर सकते हैं, जिनकी बैलेंस शीट नई डिस्टिलरी स्थापित करने या इथेनॉल के निर्माण के लिए मौजूदा सुविधाओं के विस्तार के लिये उपयुक्त नहीं है।
ऐथनॉल आपूर्ति को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए सचिव (खाद्य और सार्वजनिक वितरण), सचिव (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय) और सचिव (वित्तीय सेवा विभाग) की सह-अध्यक्षता में शुक्रवार को प्रमुख बैंकों, ओएमसी, प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों के गन्ना आयुक्तों तथा चीनी उद्योग निकायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई। एक सरकारी बयान में कहा गया के बैठक में यह सहमति बनी कि ऐथनॉल के उत्पादक (चीनी मिलों), ऐथनॉल के खरीदार (ओएमसी) और ऋणदाता (बैंक) एक एस्क्रो खाते के माध्यम से ऐथनॉल के उत्पादन, खरीद और भुगतान के बारे में एक त्रिपक्षीय समझौते में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं। ऐसे में बैंक कमजोर बैलेंस शीट वाले चीनी मिलों को भी कर्ज देने पर विचार कर सकते हैं।
इस कदम से चीनी मिलों को नई डिस्टलरी स्थापित करने या मौजूदा डिस्टलरी का विस्तार करने के लिए बैंकों से ऋण लेने की सुविधा मिलेगी। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि केंद्र ने चीनी उद्योग की लाभप्रदता की स्थिति में सुधार के लिए विभिन्न उपाय किए हैं, जिससे चीनी मिलों को किसानों के गन्ने का समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी। .............. आर एस राणा
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