| देश का खाद्य तेल आयात पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहा है लेकिन
अक्टूबर 2017 में समाप्त होने जा रहे वर्ष में इसके घटने या सपाट रहने के
आसार हैं। यह 6 साल में पहला ऐसा वर्ष होगा, जिसमें खाद्य तेल के आयात में
बढ़ोतरी नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि घरेलू स्तर पर रिकॉर्ड स्तर के आसपास
तिलहनों के उत्पादन से खाद्य तेलों की आपूर्ति बढ़ी है। भारत विश्व का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है। यह इस साल 140 से 145 लाख टन खाद्य तेल का आयात कर सकता है, जबकि 2015-16 में आयात 145 लाख टन रहा था। मुंबई स्थित ब्रोक्रिंग कंपनी सन विन ग्रुप के मुख्य कार्याधिकारी संदीप बाजोरिया ने कहा, 'इस साल खाद्य तेल की घरेलू उपलब्धता 11.5 लाख टन बढ़ेगी। इसकी वजह यह है कि पिछले साल सोयाबीन का ज्यादा उत्पादन हुआ है और सरसों की फसल के भारी उत्पादन का अनुमान है।' अमेरिकी कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक भारत की खाद्य तेल खरीद 2010-11 से लगातार हर साल औसतन 11 फीसदी बढ़ रही है। भारत मुख्य रूप से पाम तेल का आयात मलेशिया एवं इंडोनेशिया और सोयाबीन तेल का आयात अर्जेन्टीना से करता है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने अनुमान जताया है कि इस साल भारत का खाद्य तेल आयात घटकर करीब 140 लाख टन रहेगा। पिछले सप्ताह बेंचमार्क बुर्सा मलेशिया कच्चा पाम तेल वायदा नवंबर के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गया। इसकी वजह कम मांग और ज्यादा उत्पादन के अनुमान हैं। हालांकि उसके बाद तकनीकी संकेतों और सोयाबीन तेल की कीमतों में इजाफे से पाम तेल की कीमतें सुधरी हैं। भारत में अक्टूबर में कटाई की गई सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 115 लाख टन पर पहुंच गया, जो पिछले साल के उत्पादन 70 लाख टन से काफी अधिक है। यह पिछले एक दशक में सबसे अधिक सालाना वृद्धि है। इससे सोयाबीन की आपूर्ति बढ़ी है और उसकी कीमतें गिरी हैं। बाजोरिया ने कहा कि सरसों का उत्पादन बढ़कर 70 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 58 लाख टन रहा था। |
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