09 फ़रवरी 2015

सोने का घटा आयात तो बढ़ा प्रीमियम

मुंबई के जवेरी बाजार में सोने की फिर प्रीमियम पर बिक्री होने लगी है। हालांकि इससे आयात में इजाफा नहीं हुआ है। जनवरी का आयात करीब 25-30 टन रहने का अनुमान है, जबकि इससे पिछले महीने में आयात 39 टन रहा था। बाजार सूत्रों के मुताबिक सोने की बिक्री 3-4 डॉलर प्रति औंस के प्रीमियम पर हो रही है।  सोने का आयात जनवरी, 2014 में 41 टन रहा था। रोचक बात यह है कि वायदा बाजार में कीमतों के रुझान से पता चलता है कि यह उद्योग बजट में सोने पर आयात शुल्क 2 फीसदी कम होने की उम्मीद कर रहा है। 
चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों के दौरान डॉलर में शुद्ध आयात बिल 10 फीसदी बढ़कर 25.8 अरब डॉलर रहा है। अगर फरवरी में भी आयात कम रहा तो आयात बिल को वांछनीय सीमा में रखने में मदद मिलेगी। हालांकि कम आयात से सरकार के शुल्क संग्रह में कमी आएगी। हालांकि मात्रा (टन) के लिहाज से वित्त वर्ष 2014-15 में अप्रैल से दिसंबर तक आयात 733 टन रहा है, जो पिछले वित्त वर्ष की शुरुआती तीन तिमाहियों के आयात 505 टन से काफी 
ज्यादा है। 
अक्टूबर और नवंबर महीनों में भारी आयात के चलते एक महीने पहले तक सोने पर 10-15 डॉलर प्रति औंस की छूट दी जा रही थी। इन महीनों में आयातित स्टॉक की खपत बाद के महीनों में हुई। हालांकि सरकार ने नवंबर के अंत से सोने के आयात पर 80:20 के नियम सहित सभी प्रतिबंध खत्म कर दिए हैं, लेकिन उसके बाद आयात नियंत्रित रहा है। 
बैंक कुछ नियमों के बारे में तकनीकी अनिश्चितताओं के चलते सोने का आयात नहीं कर रहे हैं। घरेलू बाजार में कमजोर मांग और छूट दिए जाने से बैंकों के लिए सोने का आयात आकर्षक नहीं रहा है। इंडियन बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता केतन श्रॉफ ने कहा कि उन्होंने सरकार से सोने पर आयात शुल्क घटाने की सिफारिश की है। हालांकि वायदा बाजार पहले ही आयात शुल्क में 2 फीसदी छूट दे रहा है। हाजिर सोना शनिवार को 27,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ, जबकि वायदा में कीमत 27,300 रुपये प्रति 10 ग्राम बोली जा रही है। यह इस बात का संकेत है कि बाजार भागीदारों ने केंद्रीय बजट में आयात शुल्क में कटौती की उम्मीद में अप्रैल वायदा की बिकवाली की है। 
आमतौर पर एमसीएक्स के सोना वायदा की हाजिर और वायदा कीमतों में अंतर हाजिर बाजार के प्रीमियम और वायदा में पीली धातु को रखने की लागत पर निर्भर करता है और इसलिए वायदा कीमतें ऊंची रहती हैं। लेकिन शुल्क में कटौती की संभावना से वायदा कीमतें काफी नीचे हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि सोने की कीमत का निर्धारण आयात खेप आने की लागत, खर्च एवं कर को जोड़कर होता है। अगर शुल्क में कटौती हुई तो आयात लागत घटेगी और इससे कीमतें भी नीचे आएंगी। (business standerd)

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