कुल पेज दृश्य

11 फ़रवरी 2015

कमोडिटी बाजार की वित्त मंत्री से क्या हैं उम्मीदें

बजट सामने है और कमोडिटा मार्केट सरकीर से कई उम्मीदें लगाए बैठें हैं। कमोडिटी एक्सचेंजों का गिरता कारोबार और बाजार का गिरता इंफ्रस्ट्रक्टर, चुनौतियां बहुत हैं। वायदों और एलानों की गूंज तो हर साल सुनाई देती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कृषि और कमोडिटी बाजार दोनों की हालत बहुत खराब है। इस खास शो में आज इसी मुद्दे पर चर्चा की जा रही है।

बीजनेस लाइन के कमोडिटी एडीटर जी चंद्रशेखर का कहना है कि इस बजट में कमोडिटी कारोबार के लिए कुछ बड़ा किए जाने की उम्मीद नहीं है। लेकिन मेरा कहना है कि सरकार इस बजट में कृषि के लिए बजट बढ़ाए और कृषि के लिए बजट एलानों की समय पर समीक्षा कर ने की व्यवस्था करे। इस बजट में जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस होना चाहिए। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में तकनीकी को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

एनबीएचसी के एमडी और सीईओ अनिल चौधरी का कहना है कि वेयर हाउसिंग में निवेश की बहुत जरूत है। इसको देखते हुए सरकार को वेयरहाउसिंग पर मजबूत पॉलिसी बनानी चाहिए।

अनिल चौधरी ने कहा कि कमोडिटी बाजार के लिए मजबूत रेगुलेटर की जरूरत है। जिससे कमोडिटी बाजार में निवेशकों के भरोसे में बढ़त होगी।
 
एमसीएक्स के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर पी के सिंघल के मुताबिक भारत ज्यादातर कमोडिटी का इंपोर्टर है, ऐसे में सीटीटी लगाकर घरेलू बाजार के ग्रोथ को रोकना ठीक नहीं होगा। पी के सिंघल का कहना है कि इस बजट में में कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स यानि सीटीटी कम करने या पूरी तरह से खत्म किए जाने का कदम उठाया जाना चाहिए।

एनसीडीईएक्स के एमडी और सीईओ समीर शाह के मुताबिक सरकार को एक नेशनल एपीएमसी फंड बनाना चाहिए। इसके तहत राज्यों को मंडियों और एपीएमसी में सुधार लाने के लिए केंद्र की ओर से वित्तीय मदद दी जा सकेगी।.... स्रोत : CNBC-Awaaz

कोई टिप्पणी नहीं: