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30 दिसंबर 2013
इस पूरे साल आखिर सुर्खियों में क्यों रहा सोना!
कमोडिटी बाजार में इस साल सोना पूरे साल छाया रहा। हालांकि इस बार सोना अपनी चमक की वजह से नहीं बल्कि अपने खराब असर के कारण चर्चा की वजह बना रहा। तारीख 21 जनवरी 2013, साल के पहले महीने में ही सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी 4 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी करने का फैसला। फैसला इतना आनन--फानन में लिया गया कि वित्त मंत्री ने 1 महीने बाद आने वाले आम बजट का भी इंतजार करना मुनासिब नहीं समझा। 2013 में सोने का सुर्खियों में बनने का पहला मौका था।
पूरे कमोडिटी बाजार के लिए ये एक बहुत बड़ी खबर थी। क्योंकि एक झटके में सरकार ने घरेलू बाजार में सोने की कीमत 2 फीसदी बढ़ा दी थी। मकसद तो देश में सोने के इंपोर्ट पर काबू पाना था लेकिन इससे उन लोगों पर ज्यादा असर पड़ा जिनकी रोजीरोटी सोने से जुड़ी हुई है यानि जौहरी। इस फैसले से देश में सोने का इंपोर्ट 2 फीसदी महंगा हो गया।
दरअसल देश में बढ़ते सोने के इंपोर्ट से करेंट अकाउंट घाटा बढ़ता जा रहा था। सरकार की दलील थी कि देश में सोने का प्रोडक्शन नहीं होता है, पूरा सोना इंपोर्ट करना पड़ता है और इसके लिए डॉलर में पेमेंट करना पड़ता है। लोगों की सोने में दीवानगी की वजह से कुल इंपोर्ट बिल में कच्चे तेल के बाद सोने ने जगह बना ली है जबकि सोना एक डेट एसेट है। ऐसे में सोने के इंपोर्ट पर इतना डॉलर खर्च करना ठीक नहीं।
22 जनवरी को सरकार ने रॉ गोल्ड के इंपोर्ट ड्यूटी को भी बढ़ाकर 5 फीसदी कर दिया। 30 जनवरी को वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बयान आता है कि अब बस, सोने पर सख्ती की अब कोई योजना नहीं लेकिन ये क्या। इसके ठीक एक हफ्ते बाद यानि 6 फरवरी को आरबीआई ने इस बात का संकेत दे दिया कि वह सोने के इंपोर्ट पर सख्ती के उपाय तलाश रहा है।
फरवरी में ही 20 तारीख को वाणिज्य मंत्रालय ने थाईलैंड से देश में आने वाले सस्ते गोल्ड ज्वेलरी इंपोर्ट के रास्ते को भी बंद करने का सुझाव दे डाला। वैसे वादे के मुताबिक वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट में तो कोई सख्ती नहीं दिखाई। लेकिन सोना जैसे नॉन एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार पर ट्रांजैक्शन टैक्स लगाने का ऐलान जरूर कर दिया। यही नहीं बजट के बाद यानि 1 मार्च को वित्त मंत्री ने देश की जनता से सोना नहीं खरीदने की अपील भी कर डाली।
वैसे अप्रैल तक वित्त मंत्री अपने वादे पर कायम रहे और ये कहा कि स्मगलिंग बढ़ने के खतरे को देखते हुए गोल्ड इंपोर्ट पर कोई सख्ती नहीं होगी। लेकिन 3 मई को आरबीआई ने बैंकों के कंसाइन्मेंट बेसिस इंपोर्ट पर पूरी तरह से रोक लगाकर पूरे बाजार को चौंका दिया। आखिकार मई में एकाएक इंपोर्ट बढ़ने की वजह से परेशान वित्त मंत्रालय ने 5 जून को एक बार फिर सोने के इंपोर्ट पर ड्यूटी को 6 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया।
इसके करीब डेढ़ महीने बाद यानि 22 जुलाई को आरबीआई ने एक और सख्ती दिखाते हुए एक्सपोर्ट के आधार पर ही गोल्ड इंपोर्ट की इजाजत देने का फैसला किया। लेकिन फिर भी सोने के इंपोर्ट पर सरकार की कोशिशों का मनचाहा असर नहीं दिखा इसलिए सरकार को फिर से इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का रास्ता अपनाना पड़ा और 13 अगस्त को गोल्ड इंपोर्ट पर लगने वाली ड्यूटी को 8 फीसदी से बढ़ाकर पूरे 10 फीसदी कर दिया। यानि अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले भारत में अब सोना 10 फीसदी महंगा हो गया। बहरहाल सरकार को अब भरोसा है कि उसके इस कदमों की वजह से चालू वित्त वर्ष में सोने के इंपोर्ट बिल में कुछ हद तक राहत मिल सकती है। (Hindi>moneycantorl.com)
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