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18 दिसंबर 2013
प्याज : गिरे दाम, घटा निर्यात मूल्य
कुछ सप्ताह पहले ग्राहकों को रुलाने वाला प्याज अब कारोबारियों और किसानों के आंसू निकाल रहा है। देश में प्याज की सबसे बड़ी मंडी नासिक में इसकी कीमत गिरकर 900 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई है। कीमतों में भारी गिरावट से नाराज कारोबारियों को चुप करने के लिए सरकार ने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में भारी कटौती कर दी है। उसने इसे 1,150 डॉलर प्रति टन से घटाकर अब 800 डॉलर प्रति टन कर दिया है। हालांकि कारोबारी और किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं।
प्याज के निर्यात मूल्य में भारी कटौती के बावजूद इसकी कीमतों में सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं है। मंगलवार को नासिक (लासलगांव) में प्याज की औसत कीमत गिरकर 950 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई। कारोबारियों की राय में फिलहाल कीमतों में सुधार की कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि रबी सीजन की फसल की आवक का समय हो चला है। एमईपी घटाने से भी प्याज कीमतों में तेजी नहीं आएगी, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस कीमत पर भी प्याज बिकना मुश्किल है। पड़ोसी देश पाकिस्तान से प्याज 300 डॉलर प्रति टन पर आ रहा है, इसलिए सरकार को एमईपी 300 डॉलर प्रति टन करना होगा।
एपीएमसी में प्याज के बड़े कारोबारी और निर्यातक मनोहर तोतलानी कहते हैं कि बाजार में आपूर्ति ज्यादा है और एमईपी अधिक होने के कारण निर्यात करना मुश्किल है। घरेलू बाजार में मांग की तुलना में आपूर्ति काफी अधिक है, जिससे कीमतें कम हो रही हैं। वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी है कि सरकार कारोबार को बेडिय़ों से मुक्त करे या फिर पड़ोसी देशों के बराबर एमईपी तय करे। गौरतलब है कि नवंबर में थोक बाजार में प्याज की कीमतें 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं, जबकि खुदरा बाजार में प्याज 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा पहुंचा था। प्याज की कीमतों में इस बढ़ोतरी की प्रमुख वजह निर्यात बताया गया था। निर्यात पर नकल कसने के लिए सरकार ने नवंबर में एमईपी 650 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 1,150 टन कर दिया था।
किसान इस दर पर प्याज बेचने से इनकार कर रहे हैं। लासलगांव में प्याज से लदे करीब 1,500 टैंकर पिछले दो दिनों से खड़े हैं। नासिक के प्याज किसान रमेश पिंगले कहते हैं कि मंडी में कीमत 600 रुपये से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। किसानों को भाड़ा और मजदूरी अपने पास से ही देनी पड़ती है। खेत से प्याज की खुदाई और मंडी तक लाने का खर्च काटने के बाद किसान के हाथ में मुश्किल से 100 रुपये प्रति क्विंटल बच रहा है, जो उसकी लागत से भी कम है। इसे कब तक बर्दाश्त किया जा सकता है।
शेतकरी संघटना के अध्यक्ष राजू शेट्टी का कहना है कि जब किसानों के पास माल नहीं होता है तो प्याज की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती है और जब माल होता है तो यह 100 रुपये प्रति क्विंटल हो जाती है। यह किसानों का शोषण है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सरकार उचित कदम नहीं उठाती है तो किसान सड़कों पर उतरेंगे। पिछले एक सप्ताह से किसान मंडी में लगभग हर दिन संकेतिक विरोध कर रहे हैं। सोमवार को मुंबई-पुणे राजमार्ग भी थोड़े समय के लिए रोका गया था। अब किसान संगठन तैयारी के साथ सड़कों पर उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। इस समय नासिक में हर दिन औसतन 2,000-2,200 टन प्याज की आवक हो रही है, जबकि नवी मुंबई के वाशी बाजार में औसतन करीब 1,100 टन प्याज की आवक रोजाना हो रही है। (BS Hindi)
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