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13 दिसंबर 2013
सोने की तस्करी, सरकार के सामने बड़ी चुनौती
सोने से परेशान सरकार इकोनॉमी को बचाने के लिए इसके इंपोर्ट पर सख्ती क्या दिखाई, इसकी तस्करी बढ़ गई है। गौर करने वाली बात ये है अब तक सिर्फ इंडस्ट्री ही तस्करी की आशंका जता रही थी। लेकिन अब डीआरआई जैसी सरकारी एजेंसियां भी सोने की तस्करी बढ़ने का दावा करने लगी हैं। एक आंशिक आंकलन के मुताबिक घरेलू सोने के बाजार पर करीब 70 फीसदी तस्करों का कब्जा हो गया है। तो क्या सरकार के करेंट अकाउंट घाटे में कमी के दावे गलत हैं। सोने पर सख्ती से किसे हो रहा है फायदा। सीएनबीसी आवाज़ की खास पेशकश में इन्हीं सवालों का जवाब ढ़ूंढ़ने की कोशिश की जाएगी।
आल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन हरेश सोनी का कहना है कि देश में सोने की तस्करी काफी बढ़ गई है। करेंट अकाउंट घाटे को काबू करने के लिए सरकार की सोने पर लगातार बढ़ाई जाने वाली इंपोर्ट ड्यूटी इसकी तस्करी का मुख्य कारण है। पड़ोसी देशों से आने वाले सोने को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं क्योंकि इससे गैरकानूनी गतिविधियां बढ़ रही हैं। ये स्थिति काफी खतरनाक होती जा रही है।
बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के प्रेसिडेंट मोहित कंबोज का कहना है कि 800-1000 टन सोना आयात होता था लेकिन पिछली तिमाही में सोने का आयात 25-30 टन हुआ था। ये आयात घरेलू सोने की मांग को पूरा नहीं कर पाता है और इससे साफ है कि अब सोने की आपूर्ति के लिए तस्करी का सहारा लिया जा रहा है। इसके चलते सही सरकार इंडस्ट्री के साथ ज्यादती कर रही है और सोने के व्यापारियों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।
हिंदू बिजनेस लाइन के कमोडिटी एडिटर जी चंद्रशेखर का कहना है कि देश में हर रोज तस्करी के जरिए आए जाने वाला सोना बेतहाशा मात्रा में बढ़ता जा रहा है। सरकार करेंट अकाउंट घाटे को नियंत्रित करने के लिए सोने के आयात को घटाना चाहती थी लेकिन गैरकानूनी तरीके से सोने के आने से भी देश की अर्थव्यवस्था पर काफी खराब असर हो रहा है। छोटे तस्कर पकड़ लिए जाते हैं लेकिन बड़े तस्कर पकड़ में नहीं आ पा रहे हैं।
देश की इकोनॉमी को बचाने के लिए सोने के इंपोर्ट को महंगा किया था, लेकिन अब कहा जा रहा है कि तस्करी इस कदर बढ़ रही है कि देश के बडे़ बाजारों पर 70 फीसदी तक तस्करों का कब्जा हो गया है।
इस खास पेशकश में ये बात काफी हद तक सामने आ चुकी है कि गोल्ड इंपोर्ट पर सख्ती से सरकार भले इकोनॉमी को बड़ा फायदा होने का दावा कर रही है, दरअसल इससे काफी हद तक नुकसान भी हो रहा है। एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है। ज्वेलरी सेक्टर के इम्लॉयमेंट पर असर पड़ रहा है। और सबसे बड़ा असर कंज्यूमर पर हो रहा है। शादी विवाह के मौके पर जब सोने की खरीदारी बेहद जरूरी होती है, मजबूरी में लोगों को इस साल 6000 रुपये प्रति 10 ग्राम सोने पर ज्यादा देना पड़ रहा है। (Hindi Moneycantrol.com)
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