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28 नवंबर 2013
ईरान को निर्यात पर खत्म होगा भारत का एकाधिकार
ईरान के पश्चिमी देशों के साथ परमाणु समझौते के बाद उसको चावल और सोयाखली के निर्यात में भारत का एकाधिकार खत्म हो सकता है। इस समझौते से प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता देशों को इस तेल समृद्ध देश (ईरान) के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
ईरान और विश्व की छह महाशक्तियों के बीच रविवार को हुए ऐतिहासिक समझौते से ईरान के साथ कारोबार पर कुछ प्रतिबंध समाप्त हो गए हैं। इन प्रतिबंधों की वजह से ओपेक के सदस्य (ईरान) का तेल निर्यात घटकर करीब आधा रह गया है और उसके पास खाद्य एवं कृषि वस्तुओं के आयात के लिए कुछ देशों का ही विकल्प बच गया है। इन प्रतिबंधों की वजह से ही भारत को ईरान से तेल की खरीद घटाने के लिए बाध्य होना पड़ा। लेकिन फिर भी भारत एक बड़ा खरीदार बना रहा।
वर्ष 2012 में प्रतिबंधों की वजह से डॉलर में भुगतान रुक गया था। इसके बाद भारत ने ईरान से तेल खरीद का कुछ भुगतान रुपये में करना शुरू कर दिया था। ईरान इस पैसे का इस्तेमाल भारत से वस्तुएं खरीदने में कर रहा था। रुपये में इस कारोबार से भारत को अन्य चावल और सोयाखली आपूर्तिकर्ताओं जैसे पाकिस्तान और ब्राजील पर बढ़त मिल गई, जिन पर ईरान का ज्यादा बकाया नहीं है।
इससे भारत का निर्यात में लगभग एकाधिकार हो गया। गुडग़ांव स्थित चावल निर्यातक टिल्डा राइसलैंड के निदेशक आर एस शेषाद्रि ने रॉयटर्स को बताया, 'ईरान को भारत का चावल निर्यात इसलिए बढ़ा क्योंकि भुगतान व्यवस्था भारत के पक्ष में थी। अब से प्रतिबंध समाप्त हो रहे हैं, इसलिए भारत को अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनना होगा।'
वहीं, पश्चिमी देशों और ईरान के बीच ऐतिहासिक समझौते के बीच कच्चे तेल का आयात आसान होने के मद्देनजर भारत तेल भुगतान प्रणाली पर चर्चा के लिए जल्दी ही एक दल भेजेगा। (BS Hindi)
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