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31 अक्टूबर 2013
जिंस एक्सचेंज में शेयरधारिता के लिए 15 फीसदी की सीमा
जिंस बाजार नियामक जिंस एक्सचेंजों के लिए स्वामित्व मानकों में बदलाव पर विचार कर रहा है और नए मानकों में किसी निवेशक द्वारा अधिकतम शेयरधारिता 15 फीसदी हो सकती है।
वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के मौजूदा मानकों में जिंस एक्सचेंजों के लिए प्रमुख निवेशक की अवधारणा की अनुमति दी गई है जिसमें प्रमुख निवेशकों की हिस्सेदारी एक्सचेंज में 5 साल के परिचालन के बाद 26 फीसदी हो सकती है। इसके अलावा कुछ उप-सीमाएं हैं, जैसे स्टॉक एक्सचेंज किसी कमोडिटी एक्सचेंज में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी नहीं रख सकता। एफआईआई भी जिंस एक्सचेंज में 5 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी नहीं रख सकते।
उस समय प्रमुख निवेशकों को अनुमति दिए जाने की प्रमुख वजह यह भी थी कि जिंस बाजार शुरुआती अवस्था में था और तब हिस्सेदारी की जरूरत थी। अब बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है और नियामक सूत्रों के अनुसार, 'नियामकों के बीच समकालिक नीतियों के मामले में शुरुआत हुई है और इस पहल के तहत एफएमसी भी स्वामित्व से संबद्घ मानकों की समीक्षा पर विचार कर रहा है।Ó
अधिकारियों ने बताया कि 15 फीसदी की सीमा का प्रस्ताव विदेशी निवेशकों को छोड़ कर सभी निवेशकों के लिए रखा जा सकता है। विदेशी निवेशकों के लिए यह सीमा 5 फीसदी पर है। 6 में से 5 एक्सचेंजों के पास प्रमुख निवेशक हैं और यदि प्रस्तावित बदलाव पर अमल होता है तो वे उन्हें अपनी पूंजी हिस्सेदारी घटाने के लिए समय देंगे। एसीई एक्सचेंज जैसे नए एक्सचेंजों का प्रबंधन कोटक समूह और यूसीएक्स का प्रबंधन केतन शाह नियंत्रित कॉमेक्स टेक्नोलॉजीज द्वारा किया जाता है और मौजूदा मानकों के अनुसार इन निवेशकों की हिस्सेदारी 40 फीसदी है जिसे परिचालन के पांच वर्ष पूरे होने पर घटा कर 26 फीसदी पर लाना होगा। रिलायंस एडीएजी समूह के आई-सीईएक्स में दो प्रमुख निवेशक हैं और इनकी 26 फीसदी की हिस्सेदारी है।
इनमें एमएमटीसी और रिलायंस एडीएजी समूह की कंपनी आर-नेक्स्ट शामिल हैं। वहीं अपने परिचालन के लगभग 10 साल पूरे कर चुके पुराने एक्सचेंजों की बात की जाए तो जिग्नेश शाह प्रवर्तित फाइनैंशियल टेक्नोलॉजीज (एफटीआईएल) की मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में 26 फीसदी की हिस्सेदारी है। हालांकि एनएसईएल भुगतान संकट के बाद उसे एफएमसी की तरफ से फिट ऐंड प्रॉपर टेस्ट का सामना करना पड़ रहा है। (BS Hindi)
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