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30 सितंबर 2013
सोयाबीन की रिकॉर्ड पैदावार के आसार
प्रसंंस्करणकर्ताओं के एक प्रमुख औद्योगिक संगठन ने अनुमान जताया है कि भारत में खरीफ के मौजूदा मौसम के दौरान सोयाबीन की पैदावार करीब 130 लाख टन के ऐतिहासिक स्तर को छू सकती है। हालांकि, इस सत्र में देश के मुख्य सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और खेतों में जल जमाव से तिलहन फसल की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में औसतन 9 फीसदी की गंभीर कमी होने की आशंका है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने आज बताया, 'देश में मौजूदा खरीफ सत्र में सोयाबीन का रकबा बढ़कर 120.33 लाख हेक्टेयर की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया। हमारे प्राथमिक अनुमान के मुताबिक सोयाबीन का राष्ट्रीय उत्पादन रिकॉर्ड 129.83 लाख टन रह सकता है।Ó उन्होंने कहा कि इस खरीफ सत्र में मॉनसून की वक्त पर आमद से हालांकि सोयाबीन के रकबे में वर्ष 2012 के करीब 107 लाख हेक्टेयर के बुआई क्षेत्र के मुकाबले करीब 12.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ। लेकिन बुआई के बाद लगातार भारी वर्षा और बाढ़ से तिलहन फसल को खासा नुकसान पहुंचा। प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित औद्योगिक संगठन के प्रवक्ता ने बताया कि खराब मौसमी कारकों से इस सत्र में सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता औसतन 1,079 किलोग्राम रहने का अनुमान है। यह पिछले सत्र की 1,185 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की औसत सोयाबीन उत्पादकता से करीब 9 प्रतिशत कम है।
अग्रवाल ने बताया कि तिलहन फसल की स्थिति का जमीनी स्तर पर पता लगाने के लिए सोपा और उसकी सहयोगी एजेंसियों ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे 'टॉप..3Ó सोयाबीन उत्पादक राज्यों में 10 से 18 सितंबर के बीच विस्तृत सर्वेक्षण किया। सोपा प्रवक्ता ने बताया कि देश के सबसे बड़ेे सोयाबीन उत्पादक मध्य प्रदेश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान इस तिलहन फसल का रकबा 7.7 प्रतिशत की बढ़त के साथ 62.61 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। हालांकि, इस मौसम में मध्यप्रदेश में भारी मॉनसूनी वर्षा के चलते सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता घटकर महज 950 किलोग्राम रह सकती है, जिससे तिलहन फसल की 59.48 लाख टन पैदावार होने का अनुमान है। खरीफ 2012 के दौरान मध्य प्रदेश में 58.13 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई थी, जबकि।,150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ इस तिलहन फसल की पैदावार 66.85 लाख टन रही थी।
अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेेश के हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, रायसेन, विदिशा, सागर और दमोह समेत नौ जिलों में लगातार भारी वर्षा और खेतों में जल जमाव के कारण सोयाबीन की फसल को बेहद नुकसान पहुंचा। उन्होंने बताया कि देश के दूसरे सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक महाराष्ट्र में इस मौसम में सोयाबीन बुआई का रकबा पिछले सत्र के मुकाबले 20.45 फीसदी बढ़कर 38.70 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
महाराष्ट्र में इस मौसम के दौरान तिलहन फसल की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के।,255 किलोग्राम के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है, जिससे राज्य में सोयाबीन उत्पादन 48.57 लाख टन रह सकता है। यानी सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के मामले में महाराष्ट्र के इस बार सबसे ऊंचे पायदान पर रहने की संभावना है।
अग्रवाल ने बताया कि सोयाबीन उत्पादन में देश में तीसरा स्थान रखने वाले राजस्थान में इस बार 10.59 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बोया गया। यह क्षेत्र राजस्थान में पिछले सत्र में इस तिलहन फसल के 9.87 लाख हेक्टेयर के बुआई रकबे के मुकाबले 7.29 फीसदी अधिक है।
राजस्थान में मौजूदा सत्र के दौरान सोयाबीन की पैदावार 1,150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 12.18 लाख टन पर पहुंच सकती है। आंध्र्र प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात और अन्य प्रदेशों में इस बार 8.43 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया और इस तिलहन फसल की 9.62 लाख टन पैदावार का अनुमान है। (BS Hindi)
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