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16 सितंबर 2013
गेहूं का निर्यात करने में व्यापारी सफल लेकिन सरकार विफल
आर एस राणा नई दिल्ली | Sep 16, 2013, 02:44AM IST
बाधा- 300 डॉलर प्रति टन एमईपी होने से सरकारी स्तर पर निर्यात मुश्किल
रणनीति अलग-अलग
सरकारी ट्रेडिंग कंपनियों को फ्लोर प्राइस से ऊपर बिड मिलने की उम्मीद कम
कंपनियों ने पिछले सप्ताह 1.60 लाख टन गेहूं निर्यात के टेंडर जारी किए
डॉलर की मजबूती से इस माह में प्राइवेट निर्यातकों ने 60,000 टन सौदे किए
प्राइवेट निर्यातक 300 डॉलर प्रति टन से कम भाव पर निर्यात सौदे कर रहे
डॉलर की मजबूती से मार्जिन बढ़ा तो प्राइवेट स्तर पर निर्यात बेहतर
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की एक्सचेंज रेट में हो रहे बदलाव से गेहूं निर्यात में अजीब स्थिति बन गई है। डॉलर की मजबूती के चलते रुपये में अपेक्षित मार्जिन मिलने पर प्राइवेट निर्यातक गेहूं का खूब निर्यात कर रहे हैं। प्राइवेट कंपनियां मौजूदा माह सितंबर में ही 55000-60000 टन गेहूं का निर्यात कर चुकी है।
लेकिन सरकारी ट्रेडिंग कंपनियां निर्यात नहीं कर पा रही है। सरकार ने इन कंपनियों के जरिये भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से गेहूं निर्यात के लिए 300 डॉलर प्रति टन फ्लोर प्राइस तय किया है।
स्टेट ट्रेडिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसटीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों द्वारा गेहूं निर्यात के लिए 300 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय किया है। इस आधार पर बंदरगाह पहुंच गेहूं का भाव करीब 1,900 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा हो जाता है। इसलिए सार्वजनिक कंपनियों को निर्यात के लिए टेंडर के विरुद्ध बिड नहीं मिल पा रही हैं।
सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों को केंद्रीय पूल से पहले 45 लाख टन गेहूं निर्यात की अनुमति दी थी, जिसमें से 42 लाख टन के करीब गेहूं का निर्यात हुआ है। हाल ही में केंद्र सरकार ने केंद्रीय पूल से 20 लाख टन अतिरिक्त गेहूं के निर्यात की अनुमति दी थी।
एमएमटीसी और पीईसी लिमिटेड ने इसमें से हाल ही में क्रमश 60,000-60,000 टन और पीईसी ने 40,000 टन गेहूं निर्यात के लिए निविदा आमंत्रित की है लेकिन मौजूदा एमईपी पर बिड मिलने और निर्यात हो पाने की संभावना कम है।
प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के प्रबंधक नवीन कुमार ने बताया कि प्राइवेट निर्यातक बंदरगाह पहुंच 1,670 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद कर रहे हैं तथा चालू महीने में ही करीब 55,000-60,000 टन गेहूं का निर्यात हो चुका है। आईटीसी, ग्लेनकोर और एल डी ओवरसीज कंपनियां गेहूं का निर्यात कर रही है।
हालांकि रुपये के मुकाबले डॉलर 68 के पार होने के बाद इस समय घटकर 64 डॉलर के स्तर से भी नीचे आ गया है लेकिन अभी भी प्राइवेट कंपनियों को निर्यात के पड़ते लग रहे हैं।
प्राइवेट निर्यातक कंपनियां उत्तर प्रदेश से 1,450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद कर रही हैं तथा बंदरगाह पहुंच करीब 140 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन लागत आती है।
केंद्रीय पूल में पहली सितंबर को कुल 589.33 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक जमा है इसमें 383.60 लाख टन गेहूं और 205.73 लाख टन चावल है। अगस्त महीने में खाद्यान्न का कुल स्टॉक 696.53 लाख टन का था जिसमें गेहूं की हिस्सेदारी 403.78 लाख टन की थी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012-13 में गेहूं का उत्पादन 924.6 लाख टन का हुआ है जबकि वर्ष 2011-12 में रिकॉर्ड 948.8 लाख टन का उत्पादन हुआ था। (Business bhaskar....R S Rana)
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