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27 अगस्त 2013
खाद्य सुरक्षा विधेयक को मिली लोकसभा की मंजूरी
देश की दो तिहाई आबादी को दो वक्त की रोटी का कानूनी हक देने वाले ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक को आखिरकार लोकसभा से मंजूरी मिल गई है।
पक्ष व विपक्ष के जबरदस्त तर्क-वितर्क के बीच सोमवार देर रात लोकसभा ने बिल को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। हालांकि विपक्ष और सरकार के सहयोगी दलों ने विधेयक में करीब दो सौ से ज्यादा संशोधन पेश किए थे।
मगर सरकार के संशोधनों के अलावा विपक्ष के किसी संशोधन को सदन की मंजूरी नहीं मिली और खाद्य सुरक्षा विधेयक बहुमत के साथ लोकसभा में पारित हो गया।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने भी इस बिल के समर्थन में मतदान किया। इसके पूर्व सरकार ने पिछले महीने अध्यादेश के जरिए लागू किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को वापस ले लिया।
हालांकि बिल पारित करने से पहले इस पर बहस के दौरान भाजपा ही नहीं बल्कि सरकार के कई सहयोगी दलों ने भी चुनाव के ऐन पहले खाद्य सुरक्षा कानून लाने के सरकार के इरादों पर सवाल उठाते हुए इसे चुनावी स्टंट करार दिया।
वहीं इस बिल की सूत्रधार मानीं जाने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बहस में हिस्सा लेते हुए इसे देश के इतिहास में एक नया आयाम बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
लोकसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए सरकार ने कहा कि देश में भूख से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक अहम पहल है और सभी दलों को इसे सर्वसम्मति से पारित कराना चाहिए।
खाद्य मामलों के मंत्री प्रो केवी थॉमस ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है, जिसमें 35 किलोग्राम अनाज प्रति परिवार प्रति माह देने के साथ ही छह महीने से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को पोषक आहार देने का प्रावधान है।
गरीब परिवारों की पहचान करने के कार्य में राज्य सरकारों को शामिल किया जाएगा। इस तरह से राज्यों की सहभागिता बढ़ाई जाएगी।
बिल पर तमिलनाडु समेत कुछ राज्यों की आपत्तियों को दूर करने का प्रयास करते हुए थॉमस ने कहा कि सरकार ने यह निर्णय किया है कि इन राज्यों को पिछले तीन वर्षों के दौरान जो अनाज प्राप्त हो रहा है, उसे पूरी तरह से बनाए रखा जाएगा। हालांकि इससे केंद्र पर कुछ वित्तीय बोझ पड़ेगा लेकिन सरकार इसे वहन करेगी।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून को अमल में लाने के लिए सालाना लगभग 6.20 करोड़ टन अनाज की जरूरत होगी। यह 2011 की जनगणना के आधार पर लागू होगा। इस विधेयक में वृहद जवाबदेही और पारदर्शिता को प्रोत्साहित किया गया है और पीडीएस के सामाजिक आडिट की बात कही गई है।
थॉमस के मुताबिक तीन वर्ष के लिए प्रति व्यक्तिको हर महीने पांच किलोग्राम अनाज दिया जाएगा। जिसमें तीन रुपये की दर से चावल, दो रुपये की दर से गेहूं और एक रुपये की दर से मोटा अनाज दिया जाएगा। यह दरें तीन वर्ष के लिए होंगी और बाद में इनकी समीक्षा की जाएगी।
इस कानून से केंद्र सरकार पर प्रति वर्ष 1,24,827 करोड़ रुपये सब्सिडी का बोझ पड़ेगा। मौजूदा समय सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकार हर साल लगभग 82000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है।
खास बात यह है कि इस कानून में गर्भवती महिलाओं को पहले 1000 रुपये प्रति माह देने की बात कही गई थी, जबकि अब एक मुश्त 6000 रुपये दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
खाद्य सुरक्षा विधेयक के प्रावधानः-
देश की दो-तिहाई आबादी को मिलेगा सस्ता अनाज।
ग्रामीण इलाके में 75 प्रतिशत और शहरी इलाके में 50 फीसदी लोगों को हर महीने पांच किलो अनाज। तीन रुपये प्रति किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो की दर से मिलेगा ज्वार। ये कीमतें 3 साल बाद बदली जाएंगी।
अंत्योदय कार्ड वाले परिवारों को 35 किलो अनाज
अंत्योदय कार्ड वाले गरीब परिवार को महीने में 35 किलो अनाज। तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो की दर से ज्वार मिलेगा।
अनाज नहीं मिला तो मिलेगा मुआवजा
राज्य सरकार अगर अनाज मुहैया नहीं करा पाई तो उसे खाद्य सुरक्षा भत्ता गरीबों को देना होगा। यह भत्ता कितना होगा, यह तय करने की जिम्मेदारी केंद्र की होगी।
गरीबों की पहचान करेंगे राज्य
राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर गरीबों की संख्या योजना आयोग तय करेगा जबकि गरीब की पहचान राज्य करेंगे।
गर्भवती महिलाओं को मदद
प्रत्येक गर्भवती महिला को छह हजार रुपये मिलेंगे। छह महीने से 14 साल तक के बच्चों को राशन या खाना मुहैया कराया जाएगा।
-परिवार की वरिष्ठतम महिला सदस्य को मुखिया माना जाएगा। राशन कार्ड उसी के नाम पर बनेगा।
-1,24,724 करोड़ रुपये का खर्च आएगा खाद्य सुरक्षा योजना के लागू होने पर 2013-14 में 612.3 लाख टन अनाज की जरूरत पडे़गी
यह बिल यूपीए सरकार का चुनावी हथकंडा है। इससे गरीबों का कोई भला नहीं होगा बल्कि राज्यों की माली हालात और खराब हो जाएगी। ऐसा पहली बार हो रहा है कि केंद्र सरकार अपने हित के लिए कोई कानून बनाकर सभी पर थोपने की तैयारी कर रही है। अगर सरकार को इस बिल को पास कराना है तो पहले वह मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर चर्चा करे।--मुलायम सिंह यादव, सपा प्रमुख
खाद्य सुरक्षा विधेयक ऐतिहासिक है। इससे दुनिया को एक बड़ा संदेश जाएगा कि भारत अपने सभी देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठा सकता है। हमें मतभेद भुलाकर इस बिल का पास कराना चाहिए।
--सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष
जदयू ने इस विधेयक पर महत्वपूर्ण संशोधन के सुझाव दिए हैं। यदि सरकार उन पर अमल करती है तो निश्चित तौर पर इस बिल का समर्थन किया जाएगा।--शरद यादव, जदयू अध्यक्ष (Amaj Ujala)
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