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20 अगस्त 2013
64 तक टूटने के बाद रुपये में रिकवरी, सेंसेक्स 61 अंक गिरा
मुंबई।। बदहाली के दौर से गुजर रहे इंडियन स्टॉक मार्केट को खराब अंतरराष्ट्रीय संकेतों के बावजूद रुपये की रिकवरी से सहारा मिला। सेंसेक्स 61 अंक गिरकर 18246 और निफ्टी 13 अंक गिरकर 5401 पर बंद हुए।
शुरुआती कारोबार में रुपया 64 के पार चला गया, जिसकी वजह से बाजार टूटे। हालांकि रुपये में जल्दी ही रिकवरी हुई और यह 63.65 के लेवल तक मजबूत हुआ। रुपये में रिकवरी आने से बाजार संभले। सेंसेक्स में 275 अंक और निफ्टी में 90 अंक की रिकवरी आई।
दिन भर के कारोबार में मिडकैप शेयरों पर बिकवाली का दबाव देखा गया। सीएनएक्स मिडकैप 0.6 पर्सेंट कमजोर हुआ। बीएसई स्मॉलकैप में 0.25 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शेयर 3.5 पर्सेंट और ऑटो, हेल्थकेयर, आईटी, टेक्नॉलजी शेयर 2.25 से 1 फीसदी तक टूटे। कैपिटल गुड्स और पावर सेक्टर में 0.5-0.25 फीसदी की गिरावट देखी गई। वहीं, मेटल शेयर में 5 पर्सेंट और और रियल्टी में 2.5 पर्सेंट की बढ़ोतरी दिखी। बैंक, पीएसयू, ऑयल ऐंड गैस शेयरों में भी मजबूती देखी गई।
मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 164.69 अंकों की गिरावट के साथ 18142.83 पर खुला। शेयर मार्केट खुलते ही डॉलर की मार से रुपया भी धराशायी हो गया है। रुपया, डॉलर के मुकाबले लाइफ टाइम निचले स्तर 63.75 पर पहुंचा गया। कुछ ही देर में रुपया 64 के लेवल तक चला गया। निफ्टी भी 61.3 अंक गिरकर 5,353.45 पर खुला। सोमवार को सेंसेक्स 290.66 अंकों की गिरावट के साथ 18307.52 पर बंद हुआ था। निफ्टी में भी 93.10 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी।
1 जून के बाद से सेंसेक्स 7.35 फीसदी और निफ्टी 9.54 फीसदी गिरा है। वहीं, इस बीच रुपए में 9.83 फीसदी की गिरावट आई है। इससे हफ्ते भर पहले अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नांकी ने राहत पैकेज वापस लेने का इशारा किया था। मार्केट एक्सपर्ट्स की नजर में अब क्या बदल गया है? उनका कहना है कि एनालिस्ट अब सिर्फ सरकार के वादे पर भरोसा नहीं कर रहे। वे डेटा देख रहे हैं।
एंजेल ब्रोकिंग के सीएमडी दिनेश ठक्कर ने कहा, 'इंडियन इकॉनमी अभी मुश्किलों से घिरी है। यहां से विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने का डर बना हुआ है। इसकी बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व (भारत के आरबीआई जैसी संस्था) के अपने राहत पैकेज को वापस लेने की आशंका है। रुपए की वैल्यू भारतीय इकॉनमी की कमजोरी के चलते भी कम हो रही है।' सोमवार को इकनॉमिक टाइम्स ने 15 फंड मैनेजर्स और ब्रोकर्स की रुपए और मार्केट पर राय ली। इस बारे में एंबिट कैपिटल के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड का कहना है, 'सरकार ने अब तक रुपए को स्टेबल बनाने के लिए जो उपाय किए हैं, उनका असर नहीं हुआ है। बैंकिंग सिस्टम में कैश कम करने से कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए लोन महंगा हुआ है। इसके साथ ही इंडस्ट्री को सुस्त ग्रोथ के चैलेंज का भी सामना करना पड़ रहा है।'
अमेरिकी बाजारों में लगातार चौथे दिन गिरावट रही। फेड की बैठक से पहले इन्वेस्टर्स में घबराहट से अमेरिकी बाजारों में बिकवाली हावी हुई है। माना जा रहा है कि फेड की तरफ से सितंबर में क्यूई3 को कम करने की शुरुआत हो सकती है। डाओ जोंस 0.5 फीसदी की गिरावट के साथ 15,010.7 पर बंद हुआ। वहीं नैस्डेक 0.4 फीसदी लुढ़ककर 3,589 पर बंद हुआ।
इसके अलावा एसऐंडपी 0.6 फीसदी टूटकर 1,646 पर बंद हुआ। अमेरिका से बुरे संकेतों की वजह से एशियाई मार्केट में सुस्ती का माहौल है। जापान के बाजार निक्केई में 0.5 फीसदी की गिरावट है। एसजीएक्स निफ्टी भी 1 फीसदी से ज्यादा टूटा है। (Navbharat)
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