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05 जुलाई 2013
खाद्य सुरक्षा पर बढ़ेगी रार
नई दिल्ली। हड़बड़ी में खाद्य सुरक्षा अध्यादेश लाने को भले ही कांग्रेस जल्द चुनाव से जोड़कर देखने से इन्कार कर रही है, लेकिन विपक्ष के साथ खुद पार्टी में ही एक बड़ा तबका इसी साल आम चुनावों से इन्कार नहीं कर रहा। कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने खाद्य सुरक्षा अध्यादेश को 'गेमचेंजर' करार देते हुए कहा कि इसका जल्द चुनावों से मतलब नहीं है। वहीं, भाजपा ने संसद सत्र से पहले अध्यादेश लाने के औचित्य पर सवाल उठाकर फैसले को चुनावी लाभ से जोड़ा है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने तो इसे कांग्रेस सुरक्षा विधेयक बताकर जोरदार हमला किया है।
खाद्य सुरक्षा पर सियासी घमासान के बीच गुरुवार रात राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अध्यादेश पर दस्तखत कर दिए। अध्यादेश लाने पर विपक्षी दलों ने जिस तरह लामबंदी की है, उससे संसद में उसकी राह आसान नहीं दिख रही। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसे चुनावी स्टंट बताया। साथ ही उन्होंने इसे जल्द चुनावों का संकेत भी कहा। उन्होंने याद दिलाया कि तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इस सरकार ने सड़ते हुए अनाज को भी नहीं बांटने दिया था। अब इस हड़बड़ी का मतलब समझा जा सकता है।
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने अध्यादेश को जल्द चुनाव से जोड़ने से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि यह जनता के भले के लिए है। इसे जल्द चुनावों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि यह कांग्रेस की आम आदमी के प्रति चिंता दिखाता है। विपक्ष को इसमें सहयोग करना चाहिए। हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों ने यह भी साफ कर दिया कि नवंबर-दिसंबर में आम चुनाव होना समय से पूर्व चुनाव होना नहीं है। नियत समय से छह माह पहले चुनाव आयोग कभी भी चुनाव करा सकता है और इसे मध्यावधि चुनाव नहीं कहा जा सकता। वैसे भी सूत्रों के मुताबिक, टीम राहुल के तमाम सदस्यों का मानना है कि जल्द चुनावों से सत्ता विरोधी लहर का नुकसान कम होगा। ऐसे में खाद्य सुरक्षा पर सियासत गरमाने को चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
किसने क्या कहा-
'संसदीय शिष्टाचार की बात वह विपक्ष कर रहा है, जिसके हंगामे के कारण संसद के दो सत्रों में कोई काम नहीं हो सका। विपक्ष संसदीय शिष्टाचार के नाम पर सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रहा है।'
-मनीष तिवारी, सूचना व प्रसारण राज्यमंत्री
'जुलाई के तीसरे सप्ताह से मानसून सत्र शुरू होना है। फिर इतनी जल्दबाजी क्यों। बिल में कुछ खामियां हैं। हम चाहते हैं कि संसद में चर्चा के बाद कुछ संशोधनों के साथ बिल को पारित किया जाए।'
-राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष
'भ्रष्टाचार, महंगाई और अपनी नाकामियों से ध्यान बंटाने के लिए कांग्रेस खाद्य सुरक्षा अध्यादेश ला रही है। यह खाद्य सुरक्षा अध्यादेश नहीं कांग्रेस सुरक्षा कानून है।'
-जयललिता, सीएम, तमिलनाडु
'यह संसद की अवमानना है। सरकार चार साल इस विधेयक पर बैठी रही। ऐन मानसून सत्र से पहले इस तरह अध्यादेश लाना सिर्फ और सिर्फ राजनीति है।'
-वृंदा करात, माकपा नेता। (Dainik Jagran)
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