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11 जुलाई 2013
विदेशी तेजी से देश में भी महंगा हुआ कपास
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की चढ़ती कीमतों का असर देसी बाजार पर भी नजर आ रहा है। वैश्विक बाजार में लगातार चढ़ती कीमतों की वजह से पिछले एक महीने में कपास की कीमतों में तकरीबन 12 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। विदेशी बाजारों में कीमतें बढऩे से से भारतीय धागे की निर्यात मांग बेहतर होने की उम्मीद बनी है। डॉलर में मजबूती के साथ निर्यात मांग में भी आ रही तेजी का असर कपास के रकबे पर भी पड़ा है। कपास से मोटे मुनाफे की बढ़ती उम्मीद किसानों को इस नकदी फसल की ओर आकर्षित कर रही है।
अच्छी बारिश और बेहतर बुआई आंकड़ों के बावजूद पिछले एक महीने से कपास की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। वायदा बाजार की अपेक्षा हाजिर बाजार में कीमते कुछ ज्यादा तेजी से मजबूत हो रही हैं। हाजिर बाजार में बेंचमार्क कपास की संकर-6 किस्म के भाव में लगभग 12 फीसदी की वृद्घि आ चुकी है। हाजिर बाजार में जून की शुरुआत में संंकर-6 कपास का भाव 10,826 रुपये प्रति क्ंिवटल पर चल रहा था, जो इस समय बढ़कर 12,050 रुपये प्रति क्विंटल केपार पहुंच चुका है।
हाजिर बाजार की तेजी का असर वायदा बाजार में भी पड़ा और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में कपास की कीमतें 1,050 रुपये प्रति 20 किलोग्राम तक पहुंच गईं। वहीं कपास जुलाई अनुबंध के दाम 20,000 प्रति गांठ (एक गांठ में 170 किलोग्राम) के पार पहुंच गए। पिछले एक महीने में वायदा बाजार में कीमतों में लगभग छह फीसदी की तेजी आ चुकी है।
कपास की कीमतें बढऩे की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतों में हो रही बढ़ोत्तरी है। अमेरिका में जून की शुरुआत में कपास की कीमत 0.79 डॉलर प्रति पाउंड थी, जो 13 जून तक बढ़कर 0.92 डॉलर प्रति पाउंड हो गई। यह 24 जून को 0.84 डॉलर प्रति पाउंड और 9 जून को 0.87 डॉलर प्रति पाउंड हो गई। कपास निर्यातकों का कहना है कि इस बार निर्यात मांग बेहतर है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव भी ऊंचे हैं। मांग में तेजी की वजह से कीमतों में अभी और मजबूती आएगी जिसका सीधा फायदा भारतीय धागा निर्यातकों को होगा।
वर्ष 2011-12 में भारत ने 1.3 करोड़ गांठ कपास का निर्यात किया था लेकिन 2012-13 में सूखे के कारण कपास निर्यात घटकर 80-90 लाख गांठ रहा गया था। इस बार रकबा बढऩे की वजह से जानकारों को उम्मीद है कि निर्यात 1.35-1.40 करोड़ गांठ तक पहुंच सकता है।
कपास की कीमतों में आ रही मजबूत के बारे में ऐंजल ब्रोकिंग की वेदिका नार्वेकर कहती हैं कि इस साल देश में कपास का रकबा बढऩे वाला है। सरकार ने कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 3,700-4,000 रुपये प्रति क्ंिवटल कर दिया है। इसके अलावा लंबे समय के बाद मॉनसून समय से पहले आया है और साथ ही वैश्विक बाजार में कीमतें अच्छी है, जिससे किसानों को कपास की खेती लुभावनी लग रही है।
उनके अनुसार अभी तक वैश्विक रिपोर्ट में यह दिखाया जा रहा है कि इस साल वैश्विक स्तर पर कपास की फसल कमजोर हुई है और भारत में कपास की बुआई ज्यादा हो रही है। वैश्विक फसल कमजोर होने से कीमतें और बढ़ेंगी और देश में बेहतर उत्पादन के बावजूद किसानों को अपनी फसल के अच्छे दाम मिलने वाले हैं।
कपास उत्पादक प्रमुख राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में बेहतर बारिश के कारण कपास की अच्छी बुआई हुई है। देश के कुल कपास उत्पादन में इन चार राज्यों की हिस्सेदारी 80 फीसदी से अधिक है। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार 7 जुलाई तक देश में 81.73 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 46.61 लाख हेक्टेयेर में कपास की बुआई हुई थी।
महाराष्ट्र में कपास की बुआई तकरीबन 26.98 लाख हेक्टेयर भूमि पर हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 25.33 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई थी। आंध्र प्रदेश में कपास की बुआई पिछले साल के 9 लाख हेक्टेयर की अपेक्षा इस बार 10.9 लाख हेक्टेयर पर हो चुकी है। गुजरात में कपास का रकबा बढ़कर 30 लाख हेक्टेयर के ऊपर पहुंच चुका है। (BS Hindi)
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