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17 जून 2013
हमारे गैर-कृषि कारोबार का अनुपात निश्चित रूप से बदलेगा'
देश में कृषि जिंसों का वायदा कारोबार आए दिन होने वाली नियामकीय कार्रवाई और हेजिंग के कारण काफी उतार-चढ़ावों से गुजरा है। समीर शाह ने जून से नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के प्रबंध निदेशक (प्रभारी) का पदभार संभाला है। उन्होंने न केवल एक्सचेंज पर बल्कि पूरे कृषि जिंस वायदा कारोबार में लंबी अवधि में होने वाले सकारात्मक बदलावों का खाका खींचा है। एनसीडीईएक्स के कारोबार में कृषि जिंसों का बड़ा हिस्सा होता है।
आपने एनसीडीईएक्स की बागडोर ऐसे समय संभाली है जब एक्सचेंज का कारोबार कम हो रहा है। आपकी आगे की क्या योजनाएं हैं?
कारोबार तो महज अल्पावधि का मसला है। हमने अपने एक्सचेंज पर कारोबार की नई रणनीति के लिए चार अहम कदम उठाने का फैसला लिया है। मेरी प्राथमिकताएं बाजार का दायरा बढ़ाना, हेजर्स की भागीदारी बढ़ाना, कृषि जिंसों में नकदी को सुधारना और नयापन लाना शामिल है। इसके मुताबिक हम नए अनुबंध शुरू करेंगे, जिनकी कीमत भारतीय कारोबारियों-किसानों के अनुकूल होगी। पहला, हम भागीदारी बढ़ाना चाहते हैं, जिसके तहत हम कृषि जिंसों के वास्तविक उत्पादन और उपभोग बाजारों पर ध्यान दे रहे हैं। हम कुछ अनुबंधों में शर्तें बदलने पर विचार कर रहे हैं, जिससे वे हेजिंग के लिए उपयोगी बन सकें। दूसरा, हमारा अगला एजेंडा पूरी जिंस वैल्यू चेन को एकीकृत करना है। हम इसमें हाजिर कारोबारियों को जोडऩा चाहते हैं और उन्हें वायदा हेजर बनाना चाहते हैं। इसके अलावा उत्पादों में नयापन लाने की भी योजना है। उदाहरण के लिए खरीफ और रबी दोनों सीजन में मक्के के लिए एक्सचेंज रिवॉल्विंग बेसिस सेंटर शुरू कर चुका है। हम चाहते हैं कि भारतीय भागीदारों के लिए वायदा अनुबंधों में कीमत निर्धारण ठीक ढंग से हो। हमने इसे कच्चे तेल में अपनाने की कोशिश की थी, जिसमें कच्चे तेल की बेंचमार्क कीमत तय की गई थी। स्टील में भी ऐसा ही करने की योजना है। डिलिवरी के लिए बीआईएस गुणवत्ता को अनिवार्य किए जाने के बाद हमने इस्पात अनुबंधों की शर्तों में और बदलाव के लिए कहा था। हमने एफएमसी से ग्राहक/सदस्यों की कारोबारी सीमा उदार बनाने का भी आग्रह किया था, ताकि उनके लिए कारोबार आसान बन सके। चौथा, वेयरहाउस तंत्र को उन्नत बनाने की योजना है। शुरू होने के 10 साल बाद आज हमारे पास डिलिवरी के लिए काफी हद तक स्थान उपलब्ध है। हम इसका दायरा बढ़ाना चाहते हैं और वेयरहाउसिंग के क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी चाहते हैं।
एक्सचेंज का एक अहम कदम मंडियों का आधुनिकीकरण है। इसकी प्रगति कैसी है और अगला कदम क्या होगा?
हमारे समूह की कंपनी एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज कर्नाटक में 25 हाजिर मंडियों को आधुनिक बना चुकी है और यह संख्या अक्टूबर तक 50-55 हो जाएगी। इनकी राज्य की कृषि उपज में 50 फीसदी हिस्सेदारी होगी। आंध्र प्रदेश में भी इनकी संख्या बढ़ाई जा रही है। तमिलनाडु सरकार ने भी परियोजना में रुचि दिखाई है। हम इन मंडियों के एग्रीगेटर और कारोबारियों से जोखिम एनसीडीईएक्स के प्लेटफॉर्म पर हेज करने के लिए कह रहे हैं।
दुनिया की तुलना में भारत में हेजर्स की भागीदारी कम है। इसे बढ़ाने के लिए क्या करेंगे?
हेजर्स की भागीदारी को खड़े सौदों (ओपन इंटरेस्ट) से मापा जा सकता है। खड़े सौदे ओपन अनसैटल्ड अनुबंधों की संख्या है। यह हेजर की भागीदारी का अच्छा संकेतक है। यह देश के कुल कृषि उत्पादन का मुश्किल से 0.2 फीसदी है, जो विश्व में 25-30 फीसदी है। इसके विकास की काफी गुंजाइश है। हम भागीदारों विशेष रूप से वेयरहाउसों के साथ बैठकें करेंगे। हम किसान संगठनों और विपणन निकायों के साथ एग्रीगेटर के रूप में काम करने और व्यक्तिगत किसानों के पक्ष में कारोबार करने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
गैर कृषि जिंसों पर सीटीटी से एक्सचेंज को फायदा होगा?
सीटीटी कोई बड़ा फायदा नहीं है। गैर-कृषि जिंसों से कृषि जिसों की तरफ थोड़ा कारोबार स्थानांतरित होने से संभवतया हमें थोड़ी अवधि में फायदा मिलेगा। सीटीटी में छूट से सभी एक्सचेंजों को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे हम कृषि वायदा बाजार का दायरा बढ़ा सकेंगे। आने वाले समय में हमारा गैर-कृषि कारोबार पक्का बदलेगा, क्योंकि हम अपने सभी उत्पाद फोर्टफोलियो का विस्तार कर रहे हैं। (BS Hindi)
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