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18 अप्रैल 2013
मानसून की ज्यादा सटीक भविष्यवाणी चार साल में
मौसम की सटीक भविष्यवाणी से कृषि उत्पादन बढ़ सकता है 15 फीसदी
अगले चार वर्षों में भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जो मानसून की सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की सटीक भविष्यवाणी होने से कृषि उपज में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। भारत में मानसूनी बारिश की अहमियत बहुत ज्यादा है क्योंकि समूची अर्थव्यवस्था और 23.5 करोड़ किसान इस पर निर्भर हैं। देश में करीब 55 फीसदी खेतिहर भूमि सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के डायरेक्टर जनरल एल. एस. राठौर ने एक इंटरव्यू में कहा कि करीब आधार दर्जन भारतीय और इतने ही विदेशी मौसम विज्ञान के संगठनों ने मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में हमें मदद करने की पेशकश की है।
आपसी सहयोग से होने वाली रिसर्च से हम ज्यादा सटीक भविष्यवाणी कर सकेंगे। वर्ष 2017 तक मौसम विज्ञान विभाग ज्यादा सटीक भविष्यवाणी करने में सफल होगा। आईएमडी ने शुरू में अमेरिका और ब्रिटेन के मौसम विभागों से समझौता किया है।
अब वह जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया से भी सहयोग लेगा। राठौर के अनुसार विभाग विभिन्न क्षेत्रों में ज्यादा राडार लगाने और वेधशाला स्थापित करने की योजना बना रहा है और अपने गणितीय मॉडल को पूरी तरह दुरुस्त कर रहा है। नए प्रोग्राम के ये प्रमुख टूल होंगे।
भारतीय संगठनों में नेशनल सेंटर फॉर ओशियन इन्फोर्मेशन सर्विसेज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटिरियोलॉजी और नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग सहयोग देंगे। भारतीय मौसम कार्यालय पिछले 130 साल के अपने दीर्घकालिक आंकड़ों के आधार पर मानसूनी बारिश की भविष्यवाणी करता है।
विभाग पहली वार्षिक भविष्यवाणी अप्रैल में करता है और दूसरी भविष्यवाणी मानसून सक्रिय होने के बाद जून में करता है। राठौर के अनुसार नए मॉडल के तहत विभाग चार से पांच भविष्यवाणी कर सकेगा। इसके अलावा क्षेत्र विशेष के लिए भी भविष्यवाणी की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि विश्व के सभी प्रमुख मौसम संस्था और भारत ने एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत सही भविष्यवाणी की मौसम विज्ञान प्रक्रिया को सुधारी जा रही है। वर्ष 2009 में आईएमडी समय रहते सूखे की भविष्यवाणी नहीं कर पाया था। नए मॉडल से यह समस्या नहीं आएगी।
औसत मानसून रहने की उम्मीद
नई दिल्ली- एक प्राइवेट मौसम भविष्यकर्ता का कहना है कि इस साल देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रह सकता है। अगले सीजन में मानसूनी बारिश पिछले 50 साल के औसत के मुकाबले 103 फीसदी रह सकती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) दीर्घकालिक भविष्यवाणी अगले सप्ताह करेगा।
प्राइवेट भविष्यकर्ता के अनुसार मध्य भारत में मानसूनी बारिश में सबसे कम उथल-पुथल होगी। जून से सितंबर के बीच औसत बारिश होगी।
प्राइवेट भविष्यकर्ता स्काईमेट के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफीसर जतिन सिंह ने कहा कि हमारा अनुमान है कि इस साल सामान्य मानसूनी बारिश होगी। कुल बारिश 103 फीसदी रहने की संभावना है। हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तरी मध्य प्रदेश में जून व जुलाई के दौरान कम बारिश होने का अनुमान है। (Business Bhaskar)
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