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09 अप्रैल 2013
10-15 फीसदी घटेगा चीनी उत्पादन!
चालू पेराई सीजन 2013-14 में देश का चीनी उत्पादन 10-15 फीसदी घट सकता है। इसकी वजह सूखा प्रभावित महाराष्ट्र के कई जिलों में गन्ने की उपलब्धता कम होना है। महाराष्ट्र में 2012 में मॉनसून की कम बारिश के चलते या तो बुआई पूरी नहीं हो सकी या फसल खराब हो गई।
महाराष्ट्र के करीब 16 जिले पानी की कमी से बुरी तरह प्रभावित हुए थे। इन जिलों में प्रमुख गन्ना उत्पादक जैसे मराठवाडा, बीड आदि भी शामिल थे। शुरुआत में मॉनसूनी बारिश एक महीने से ज्यादा देर से आई और बाद में असामान्य वितरण ने इन जिलों को मुश्किल में डाल दिया।
महाराष्ट्र सरकार के ऑफ ऑफ केन कमिश्नर के निदेशक (चीनी) डी बी गाविद ने कहा, 'अगले सीजन में गन्ने की उपलब्धता के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। लेकिन हां, 2012 में कम मॉनसूनी बारिश से रकबे पर नकारात्मक असर पड़ा है, जिससे आगामी सीजन में गन्ने के कम उत्पादन का अनुमान है। हालांकि हमने अगले सीजन में गन्ने की फसल का आकलन नहीं किया है। यह जून के अंत तक हो सकता है। यह तय है कि अक्टूबर से शुरू हुए इस साल में गन्ने का उत्पादन कम रहेगा।Ó
सबसे बड़े उत्पादक के रूप में महाराष्ट्र का देश के कुल चीनी उत्पादन में करीब एक-तिहाई योगदान होता है। पेराई सीजन (अक्ट्ूबर-सिंतबर) 2012-13 के दौरान महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन का अनुमान 79-80 लाख टन है। 6 अप्रैल, 2013 तक कुल चीनी उत्पादन 78 लाख टन रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 82.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
सबसे रोचक बात यह है कि अच्छी आमदनी की वजह से गन्ने का इस्तेमाल चारे के रूप में होने लगा है। इससे राज्य में पेराई के लिए गन्ने की उपलब्धता घटकर 6.86 करोड़ टन रही है, जो पिछले साल 7.13 करोड़ टन थी।
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हालांकि अगले साल गन्ने की उपलब्धता 10-15 फीसदी घट सकती है, क्योंकि सूखे क्षेत्रों में बुआई का रकबा कम रहा और बोई गई फसलें पानी के अभाव में नहीं पनप सकीं।Ó 12 और 18 महीने की अवधि वाली फसलों की कम बुआई से उत्पादन पर असर होगा, जिससे इसी अनुपात में चीनी उत्पादन भी घटेगा। इसलिए पेराई सीजन 2013-14 के दौरान कुल चीनी का उत्पादन 8 से 12 लाख टन कम रहने का अनुमान है। इससे महाराष्ट्र से देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य का दर्जा छिन सकता है और यह उत्तर प्रदेश से पीछे हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 2012-13 में 68-70 लाख टन के बीच रह सकता है। इससे पेराई सीजन 2013-14 के दौरान भारत का चानी उत्पादन 230 से 240 लाख टन रह सकता है, जो 246 लाख टन के इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुमान से कम है। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'निश्चित रूप से 2012 के मॉनसून सीजन में सूखे की वजह से महाराष्ट्र के कुछ जिले प्रभावित हुए हैं। (BS Hindi)
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