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06 मार्च 2013
अवैध आयात की वजह से सस्ती हुई इलायची
आयात बढऩे से इलायची के भावों में भारी गिरावट आई है। इसकी औसत नीलामी कीमत 707 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई। हालांकि नीलामी केंद्रों पर इस जिंस का भाव 700 रुपये प्रति किलो से अधिक है, लेकिन केरल में इडुक्की जिले के किसान इसकी बिक्री महज 550 से 650 रुपये प्रति किलो के भाव पर कर पा रहे हैं।
दरअसल स्थानीय कारोबारी इसका खरीद मूल्य न्यूनतम स्तर पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि उत्तरी राज्यों में इस जिंस की जरूरत से ज्यादा आपूर्ति हो रही है। इलायची किसानों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि खेती की लागत के हिसाब से उन्हें कम-से-कम 1,000 रुपये प्रति किलो भाव मिलना चाहिए। किसानों के मुताबिक पिछले एक साल में श्रम लागत और उर्वरकों की कीमतें काफी बढ़ी हैं। हालांकि वैध तरीके से इलायची का आयात बहुत कम आयात हो रहा है, लेकिन उत्तर-पूर्वी सीमा से इसकी तस्करी काफी बढ़ गई है। यह इलायची किसानों की चिंता की सबसे बड़ी वजह है। वर्ष 2005-06 के दौरान भी ऐसा हुआ था।
मसाला बोर्ड ने कहा कि जून 2012 से लेकर फरवरी 2013 के दौरान आधिकारिक तौर पर केवल 200 टन इलायची का आयात किया गया। लेकिन भूटान, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों से इस जिंस का अवैध आयात बढऩे से स्थानीय बाजार में इलायची के भाव बहुत गिर गए। मसाला बोर्ड के हालिया बयान में कहा गया है कि ग्वाटेमाला से इलायची के भारी आयात की खबरों से कथित तौर पर इसकी स्थानीय कीमतों में गिरावट आई। बोर्ड का कहना है कि ये गलत खबरें हैं क्योंकि पिछले 9 महीनों में केवल 200 टन इलायची का आयात हुआ, जबकि फरवरी तक देश के विभिन्न नीलामी केंद्रों में 8,776 टन इलायची की आवक हुई। आयात महज 2.27 फीसदी हुआ और इस जिंस की औसत नीलामी कीमत करीब 700 रुपये प्रति किलो पर स्थिर है। दक्षिण भारतीय बंदरगाहों के जरिये इलायची आयात की खबरों का इसके भाव पर उलटा असर हुआ और इसकी कीमतें ऊपर-नीचे गईं। बोर्ड ने किसानों को सतर्क करते हुए कहा है कि स्थानीय स्तर पर कीमतें कम रखने के लिए गुमराह करने वाली खबरें फैलाई जाती हैं। (BS Hindi)
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