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14 मार्च 2013
कपास कारोबार में सक्रिय बड़े खरीदार
वैश्विक अनुमान में वर्ष 2013-14 में कपास उत्पादन में गिरावट की बात कही गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतें मजबूत होने लगी हैं और 11 महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। निर्यात के मौके भांपते हुए भारत में प्रमुख बहुराष्ट्रीय कारोबारी कपास कारोबार में सक्रिय हो गए हैं, जिससे इसकी कीमतों में तेजी आई है।
अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति ने कहा कि वैश्विक उत्पादन 22 फीसदी घटकर 220 लाख टन रहने का अनुमान है। राबो बैंक ने भी कहा है कि कीमतों में हालिया तेजी के बावजूद सोयाबीन और मक्का जैसी नई फसलें कपास का रकबा कम कर सकती हैं। अमेरिका की कृषि ऋण प्रदाता एक प्रमुख संस्था राबी ने कहा कि अमेरिका में कपास का उत्पादन 18 फीसदी घट सकता है।
कपास उत्पादन घटने की खबरों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों में तेजी आई है। अमेरिका में कपास का कारोबार 11 महीने के सर्वोच्च स्तर 88 सेंट प्रति पाउंड पर हो रहा है। भारत में बेंचमार्क शंकर-6 किस्म की कीमत पिछले साल अगस्त के बाद सबसे ऊंचे स्तर 10,770 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई है। एमसीएक्स में कपास वायदा 19,070 रुपये प्रति गांठ (170 किलोग्राम) पर पहुंच गया है। देश से कपास निर्यात के मौके भांपते हुए भारत की कुछ बहुराष्ट्रीय कारोबारी कंपनियों ने निर्यात के लिए कपास की खरीदारी और स्टॉक करना शुरू कर दिया है।
उनकी नजर आर्बिट्राज (कम कीमत पर खरीदकर ऊंची कीमत पर बेचकर लाभ कमाना) पर है क्योंकि चीन की सरकार वहां की मिलों को राज्य एजेंसी से कपास खरीदने के लिए बाध्य कर रही है। वहां की राज्य एजेंसी अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क कीमत से काफी ज्यादा कीमत पर कपास की बिक्री कर रही है। उदाहरण के लिए अमेरिका में कपास की कीमत 88 सेंट प्रति पाउंड है, वहीं चीन की राज्य एजेंसी वहां की स्थानीय मिलों को 1.20 से 1.47 डॉलर प्रति पाउंड पर कपास बेच रही है।
चीन की मिलें स्थानीय बाजार से जितना माल लेती हैं, उसका 50 फीसदी ही कपास आयात कर सकती हैं। हालांकि उनके लिए भारतीय कपास की लागत करीब 90 सेंट पड़ती है। इसलिए चीन में भारतीय कपास की मांग है, क्योंकि इससे वहां की मिलों को अपनी औसत लागत घटाने में मदद मिलती है। भारत के बहुराष्ट्रीय कारोबारियों ने स्थानीय बाजार से कपास खरीदकर चीन को इसका निर्यात शुरू कर दिया है। वे भारत के हाजिर बाजार से खरीदारी करते हैं और इसे घरेलू वायदा बाजार या अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच देते हैं।
एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय ट्रेडिंग कंपनी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि की। कारोबारी हलकों में अनुमान लगाया जा रहा है कि बहुराष्ट्रीय कारोबारियों ने हाल में करीब 10 लाख गांठ कपास की खरीद की है। उनकी खरीदारी के साथ ही अनुमान लगाया गया है कि सरकारी खरीद एजेंसियों जैसे भारतीय कपास निगम और नैफेड के पास 30 लाख गांठ से ज्यादा कपास का स्टॉक है। कुछ ही हाथों में बड़ी मात्रा होने से कीमतें ऊंची रहती हैं।
हालांकि अब तक निर्यात सुस्त था, लेकिन इसके अब रफ्तार पकडऩे की संभावना है। कहा जा रहा है कि डीजीएफटी के पास 75 लाख गांठों का पंजीकरण हो चुका है। कपास सलाहकार बोर्ड ने चालू कपास वर्ष 2012-13 में 80 लाख गांठों के निर्यात का अनुमान जताया है। (BS Hindi)
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