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12 जनवरी 2013
वियतनाम का सस्ता काजू भारत में
चार साल पहले अंतरराष्ट्रीय काजू निर्यात बाजार में वियतनाम ने भारत से सबसे बड़े निर्यातक का दर्जा छीन लिया था। खुद को सबसे बड़े निर्यातक के रूप में स्थापित करने के बाद वियतनाम अब भारतीय बाजार में भी मौजूदगी बढ़ाने की तैयारी में है।
चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में भारत ने 53 करोड़ रुपये के 3,245 टन काजू का आयात किया है। इसकी औसत कीमत 163.38 रुपये प्रति किलोग्राम रही। ज्यादातर आयात वियतनाम से हुआ। भारत पिछले कई वर्षों से कच्चे काजू का बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है। पिछले चार वर्षों के दौरान प्रसंस्कृत काजू का आयात थोड़ी मात्रा में रहा है। लेकिन इसने पहली बार चालू वित्त वर्ष में प्रसंस्कृत काजू का भारी मात्रा में आयात किया है।
भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसीआई) के महासचिव शशि वर्मा ने कहा, 'हम थोड़ी मात्रा में काजू का आयात करते रहे हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान हमने ठीकठाक मात्रा का आयात किया था। इस साल आयात काफी अधिक रहा है।' वियतनाम करीब 1,60,000 टन काजू का निर्यात करता है, जिसमें से टुकड़ों का हिस्सा करीब 25 फीसदी है। यह अमेरिका को काजू का सबसे निर्यातक है। नवंबर 2012 के दौरान भारत ने 298 टन काजू का आयात किया था, जिसकी कीमत करीब 5.82 करोड़ रुपये थी। इसकी औसत कीमत 195 रुपये प्रति किलोग्राम थी। यह कीमत बहुत ही मामूली है, क्योंकि घरेलू स्तर पर प्रसंस्कृत काजू की औसत कीमत 480 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम है। वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान भारत ने 5,000 टन काजू का आयात किया।
मैंगलोर की निर्यातक कंपनी अचल कैश्यू के प्रबंधक साझेदार जी गिरिधर प्रभु ने कहा, 'अभी हमारे निर्यात की तुलना में आयात बहुत कम है। लेकिन यह भारतीय परिवारों और उद्योगों में इसकी बढ़ती खपत की ओर संकेत करता है। कन्फेक्शनर, आइसक्रीम बनाने वाले, रेस्टोरेंट, कैटरर्स और मिठाई बाजारों ने काजू टुकड़े का भारी मात्रा में इस्तेमाल शुरू कर दिया है।'
वियतनाम की भारतीय बाजार पर नजर होने का एक कारण यह भी है कि वहां इसका घरेलू बाजार नहीं है और अमेरिका टुकड़े की खरीद नहीं करता है। इसलिए वियतनाम अपने काजू टुकड़े का निर्यात कर भारतीय बाजार का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। सीईपीसीआई के मुताबिक काजू का आयात पशुचारे की आड़ में और कीमतों में कमी दिखाकर किया जा रहा है।
सीईपीसीआई के पूर्व चेयरमैन वॉल्टर डिसूजा ने कहा कि आयातक अमूमन आयात शुल्क बचा रहे हैं और जब वे चुकाते भी हैं तो मामूली। क्योंकि वे खरीद कीमत बहुत कम औसतन 125 रुपये रुपये प्रति किलोग्राम दिखाते हैं। सरकार ने काजू के आयात पर 35 फीसदी आयात शुल्क लगा रखा है। इसकी वजह से घरेलू उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि घरेलू उद्योग के मार्जिन पर भारी चोट पड़ रही है, क्योंकि ज्यादातर आयात दीवाली के त्योहारी सीजन पर हो रहा है। यह आयात वियतनाम और पूर्वी अफ्रीकी देशों जैसे तंजानिया और मोजांबिक से हो रहा है। भारत में हर साल करीब 6,50,000 टन कच्चे काजू का उत्पादन होता है, जबकि 7,00,000 टन का आयात किया जाता है। इसे प्रसंस्करण कर काजू बनाया जाता है। 20011-12 में भारत ने 1,31,760 टन काजू का आयात किया था, जिसकी कीमत 4,390 करोड़ रुपये थी। घरेलू उत्पादन 1,50,000 टन अनुमानित है, जिसकी कीमत 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है। (BS Hindi)
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