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30 जनवरी 2013
हिमाचल में सेब उत्पादन में वृद्धि की आशा
शिमला | हिमाचल प्रदेश के सेब बागानों में बर्फ की मोटी चादर पड़ी हुई है और बागवानों को उम्मीद है कि इसके कारण इस बार सेब का उत्पादन अधिक रहेगा। दो सालों से सेब का उत्पादन कम चल रहा है।
पिछले साल दो करोड़ पेटी (हर पेटी में 20 किलो) सेब का उत्पादन हुआ था, जो एक साल पहले की 2.5 करोड़ पेटियों से 20 फीसदी कम है। राज्य के बागवानी विभाग के निदेशक गुरदेव सिंह ने कहा कि इस साल हालांकि बर्फ देर से पड़ी है, लेकिन फिर भी सेब की गुणवत्ता बेहतर रहने की सम्भावना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि राज्य के ऊपरी क्षेत्रों में बर्फ की तीन फुट मोटी चादर देखी जा रही है। इस क्षेत्र में राज्य के 80 फीसदी सेब का उत्पादन होता है। सेब राज्य की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख घटक है। राज्य के दो लाख परिवार इसके उत्पादन से जुड़े हुए हैं। सेब उद्योग का आकार 2,000 करोड़ रुपये का है। शिमला जिले के कोठगढ़ के सेब उत्पादक गोपाल मेहता ने आईएएनएस से कहा, "बर्फ समुचित रहने से मिट्टी की नमी बढ़ जाएगी और अभी सुप्त अवस्था में पड़े सेब के पेड़ों को गर्मियों में बेहतर पोषण मिलेगा।" एक विशेषज्ञ ने कहा कि सेब के पेड़ों को 1,000 से 1,600 घंटे तक अत्यधिक ठंडक की जरूरत पड़ती है। सोलन के डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय के पूर्व संयुक्त निदेशक एस.पी. भारद्वाज ने कहा कि बर्फ पड़ने से सेब के पेड़ों की सुप्तावस्था अवधि बढ़ जाएगी और मध्य मार्च में समय से पहले ही अंकुर फूटने जैसी घटना से यह बच जाएगा। बर्फ गिरने से हालांकि शिमला के कुछ क्षेत्रों में सेब के कुछ पेड़ों को नुकसान भी पहुंचा है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि नुकसान का आंकलन अभी नहीं पेश किया जा सकता है, लेकिन थानेदार, कोठगढ़ और खरापठार में अधिक नुकसान हुआ है।(Deshbandhu)
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