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15 दिसंबर 2012
पाम तेल में आई गिरावट की खुशबू
पाम तेल बाजार में मंदी का रुझान बना हुआ है। पिछले चार महीनों में पाम तेल की कीमतें 30 फीसदी तक गिर चुकी हैं और संकेतकों से पता चलता है कि कीमतें और नीचे आएंगी। अंतरराष्ट्रीय पाम तेल के संदर्भ में बात करें तो मलेशियाई पाम तेल सितंबर के बाद से 33 फीसदी तक गिर चुका है और अभी इसकी कीमतें तीन वर्ष के निचले स्तर 2017 रिंगिट प्रति टन पर हैं। हाल के वर्षों में कीमतों में सबसे निचला स्तर 8 जुलाई 2009 को देखा गया है। तब इसकी कीमत 2001 रिंगिट पर थी। हालांकि भारत में (एमसीएक्स पर) कच्चे पाम तेल की कीमत सितंबर से 28 फीसदी तक गिर चुकी है और अबी यह 396 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर है।
भारत में रिफाइंड-आरबीडी पाम तेल की कीमतें भी 610 रुपये से 23 फीसदी तक गिर कर 472 रुपये प्रति 10 किलोग्राम रह गईं हैं। पाम तेल का इस्तेमाल मुख्य तौर पर खाने के तेल के रूप में किया जाता है, लेकिन साबुन/कॉस्मेटिक बनाने और जैव-ईंधन के लिए कच्चे माल के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। भोजन और कच्चे माल की खपत पाम तेल के लिए दो प्रमुख मूल्य निर्धारक कारक हैं।
अहमदाबाद स्थित कुंवरजी गु्रप के उपाध्यक्ष (कमोडिटी) जगदीप ग्रेवाल ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि कच्चे पाम तेल की कीमतें दबाव में बनी रहेंगी और अगले कुछ महीनों में कीमतें 350 के स्तर को भी छू सकती हैं।'
इस गिरावट की वजह बताते हुए उन्होंने इसका हवाला दिया कि मलेशियन पाम ऑयल बोर्ड की ताजा खबरों में कहा गया है कि नवंबर तक पाम तेल का स्टॉक 25.6 लाख टन पर था जो 25.5 लाख टन के अनुमान से अधिक है और जनवरी 2013 तक इसके 30 लाख टन के आंकड़े को पार कर जाने का अनुमान है।
पाम तेल की खाद्य संबंधित खपत के लिहाज से भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता और अपने पड़ोसी देशों के साथ आयातक है। लेकिन मौजूदा समय में इन सभी क्षेत्रों में ठंड का मौसम होने की वजह से खाना पकाने के लिए पाम तेल को कम पसंद किया जाता है, क्योंकि यह अधिक ठंड की वजह से जम जाता है। (BS Hindi)
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