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20 दिसंबर 2012
चावल निर्यात में पहले पायदान पर भारत
संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2012 में 90 लाख टन चावल के निर्यात के साथ भारत विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। उसने थाईलैंड को पीछे छोड़ा है। मगर साल 2013 में इस पायदान पर उसका बने रहना मुश्किल लग रहा है क्योंकि वैश्विक बाजार में कीमतें घटाकर थाईलैंड फिर से निर्यात बाजार का विस्तार कर रहा है।
भारत ने दो साल से लगी पाबंदी हटाते हुए निजी कारोबारियों को साल 2011 में चावल निर्यात की अनुमति दी थी। इससे निजी कारोबारी पारंपरिक व नए बाजारों में भारतीय चावल ऐसी कीमत पर भेजने में सक्षम हुए थे, जो मौजूदा दरों से कम थीं और इस तरह से निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
एफएओ ने यह भी कहा है कि साल 2012-13 में निर्यात के लिए भारत के पास रिकॉर्ड 157 लाख टन अतिरिक्त अनाज होगा, जिसमें 77 लाख टन चावल, करीब 50 लाख टन गेहूं और 30 लाख टन मक्का शामिल है।
जुलाई में समाप्त फसल विपणन वर्ष 2011-12 में देश में रिकॉर्ड 940 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ जबकि 1040 लाख टन चावल और करीब 162.2 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ। हालांकि इसका निर्यात नहीं हो पाया क्योंकि सरकार ने चावल व गेहूं की करीब-करीब पूरी मात्रा खरीद ली और निजी क्षेत्र के निर्यातकों के लिए काफी कम माल छोड़ा। बाद में हालांकि सरकार ने भी अपना भंडार खाली करना शुरू किया ताकि नई फसल के लिए जगह बनाई जा सके। सरकार ने 20 लाख टन गेहूं निर्यात की मंजूरी दी और करीब 25 लाख टन निर्यात अभी प्रक्रिया में है।
एफएओ ने कहा कि रबी सीजन के लिए गेहूं व चावल की बुआई करीब-करीब पूरी हो चुकी है। उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा, बिहार व पश्चिम बंगाल के अलावा कर्नाटक में बारिश काफी कम रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गेहूं व धान की ज्यादातर फसलों की सिंचाई हो चुकी है और मॉनसून के बाद की अवधि में हुई ज्यादा बारिश से जलाशयों का स्तर बढ़ा और मिट्टी की नमी में भी इजाफा दर्ज किया गया। (BS HIndi)
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