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06 दिसंबर 2012
किसान नहीं बेच रहे ग्वार, 40 फीसदी की आई उछाल
किसानों की सांठगांठ के चलते एक पखवाड़े में ग्वार और ग्वार गम की कीमतें करीब 40 फीसदी उछल गई हैं क्योंकि इन किसानों ने ग्वार व ग्वार गम की कीमतें क्रमश: 9,000 रुपये व 25,000 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर पर आने के चलते अपना भंडार खुद के पास बनाए रखने का फैसला किया है। जोधपुर मंडी में ग्वार व ग्वार गम की कीमतें क्रमश: 12,500 रुपये और 35,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई हैं।
पिछली तीन तिमाहियों से ग्वार की कीमतें फिसल रही हैं, जब वायदा बाजार आयोग ने ग्वार व ग्वार गम के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगा दी थी। पाबंदी से पहले ग्वार की कीमतें 30,000 रुपये प्रति क्विंटल जबकि ग्वार गम की कीमतें 1 लाख रुपये प्रति क्विंटल के पार चली गई थी।
हालांकि इन जिसों में ज्यादा रिटर्न को देखते हुए खरीफ सीजन में और ज्यादा ग्वार की बुआई हुई, लेकिन तब तक नई फसल की आवक शुरू हो गई लिहाजा इसकी कीमतें गिर रही थी। अब किसान एकजुट हो गए हैं और वे इसकी मनमानी कीमतें चाहते हैं और इसी वजह से इसकी कीमतें उछली हैं। किसानों को देश में ग्वार गम के सबसे बड़े उत्पादक विकास डब्ल्यूएसपी समूह के प्रबंध निदेशक बी डी अग्रवाल के तौर पर एक नेता भी मिल गया है, जिन्होंने हाल में राजस्थान के अग्रणी अखबारों में विज्ञापन देकर किसानों को ग्वार नहीं बेचने की हिदायत दी थी और कहा था कि भविष्य में इसकी कीमतें और ऊपर जाने की संभावना है।
संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा, ग्वार वायदा पर पाबंदी से किसानों के हितों को झटका लगा है और इसकी बहाली होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा - 23 दिसंबर को हम जोधपुर में किसानों की रैली आयोजित करने जा रहे हैं, जहां 5 लाख किसानों के जुटने की संभावना है। उन्होंने कहा, हमने किसानों से घबराहट में कम कीमत पर बिकवाली से परहेज करने को कहा है। दूसरी ओर कारोबारी व निर्यातक ग्वार वायदा का विरोध कर रहे हैं। इस बाबत वे अपनी बात भी रख रहे हैं। एफएमसी ये यह पूछे जाने पर कि ग्वार वायदा कब बहाल होगा, एक प्रवक्ता ने कहा, एक ओर जहां हमारी सलाहकार समिति ने ग्वार व ग्वार गम वायदा का समर्थन किया है, वहीं निर्यातकों के साथ कुछ मसला है। इस संबंध हम डीजीएफटी से बातचीत कर रहे हैं।
साल 2011-12 में निर्यात के मोर्चे पर ग्वार गम का प्रदर्शन शानदार रहा और 7 लाख से ज्यादा ग्वार गम का निर्यात हुआ और इसकी कुल कीमत 3 अरब डॉलर से ज्यादा रही।
डीजीएफटी निर्यात नियामक है और इसके पास पंजीकरण का अधिकार है। मकसद है उनसे यह जानने का कि वास्तव में ग्वार गम की कितनी मात्रा का निर्यात हुआ। इसके अलावा निर्यातकों की तरफ से उठाए गए कुछ और मसले भी हैं। इस बीच, जोधपुर और बीकानेर (राजस्थान में ग्वार की प्रमुख मंडियां) में ग्वार में डब्बा कारोबार चल रहा है। विकास-डब्ल्यूएसपी के अग्रवाल ने कहा, तत्काल ग्वार वायदा फिर से बहाल किया जाना चाहिए, अन्यथा इसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को ही उठाना होगा। (BS Hindi)
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