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19 नवंबर 2012
मजबूत मांग के सहारे तेज रहेगा मक्का
भारतीय मक्के की कीमत अंतरराष्टरीय बाजार में अन्य देशों के मक्के से कम है जिससे इसका निर्यात बढऩे की संभावना है। यही कारण है कि नई आवक के बावजूद मक्के की कीमतों में मजबूती का रुख है। घरेलू बाजार में भी पोल्ट्री फीड निर्माताओं की मांग ठीक है। ऐसे में लंबी अवधि में मक्का और महंगा हो सकता है। घरेलू उत्पादन कम होने से भी कीमतों में तेजी आई है। दिल्ली में मक्के के भाव 1,400 रुपये और महाराष्ट में 1,425 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। महीने भर में मक्का 100 रुपये प्रति क्विंटल महंगा हो चुका है।
अमेरिकी अनाज परिषद (यूएसजीसी) के भारत में वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्टय बाजार में भारतीय मक्के की कीमत करीब 305 डॉलर प्रति टन है, जबकि अन्य देशों के मक्के का भाव 330 डॉलर प्रति टन है। इसलिए भारतीय मक्के की मांग बढ़ रही है। महाराष्ट की सांगली मंडी के मक्का कारोबारी दिनेश मूंदड़ा ने कहा कि फसल कमजोर होने से इसकी आवक कम हो रही है, जबकि निर्यात मांग मजबूत है। जिससे नई आवक के बावजूद मक्के के दाम गिर नहीं रहे हैं। कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के वरिष्ठ जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर कहते हैं कि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान से नया मक्का आ रहा है, बावजूद इसके महीने भर में दाम 100 रुपये प्रति क्विंटल चढ़ चुके हैं। उन्होने कहा कि ऊंचे भाव पर कुछ समय के लिए हल्की गिरावट संभव है, लेकिन निर्यातकों के लिए स्टॉकिस्ट खरीद खूब कर रहे हैं। इससे लंबी अवधि में मक्का तेज ही रहेगा। वर्ष 2012-13 में मक्के का वैश्विक उत्पादन 3.8 करोड़ टन घटकर 83.90 करोड़ टन रहने का अनुमान है। भारत में भी उत्पादन 6.5 फीसदी गिरने की संभावना है। (BS Hindi)
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