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14 नवंबर 2012
किसी के दबाव में एनसीडीईएक्स की हिस्सेदारी नहीं बेचेंगे अरोड़ा
एनसीडीईएक्स की हिस्सेदारी बेचने का दबाव झेल रही गौरव अरोड़ा द्वारा प्रवर्तित जेपी कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड ने फिलहाल अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने का फैसला किया है और कंपनी दूसरे हिस्सेदारों के दबाव का सामना करेगी। अरोड़ा ने कहा, मैं अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचने जा रहा। करीब दो साल पहले एक्सचेंज के बोर्ड में ऐंकर निवेशक के तौर पर उन्हें प्रवेश मिला था।
एनसीडीईएक्स में एंकर इन्वेस्टर के तौर पर जेपी का प्रवेश 7 अक्टूबर को हुआ था और तब कंपनी को 113.4 लाख शेयर भारी छूट के साथ 59 रुपये प्रति शेयर पर आवंटित किए गए थे जबकि एक्सचेंज के राइट्स इश्यू के जरिए इन शेयरों का कारोबार 110 रुपये प्रति शेयर पर हुआ था।
इस कंपनी को इस शर्त पर शेयरों का आवंटन हुआ था कि कंपनी एक्सचेंज का औसत मासिक कारोबार में इजाफा करेगी, जिसे अरोड़ा पूरा नहीं कर पाए।
जैसा कि जेसी ने स्पष्ट किया है कि कंपनी एक्सचेंज में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचने जा रही है। एक्सचेंज की 9 नवंबर को होने वाली बैठक में इस मसले पर चर्चा होनी थी, जिसे टल गया और एनसीडीईएक्स की अगली बोर्ड बैठक 16 नवंबर को होगी, लेकिन समझा जाता है कि हिस्सेदारी बेचने का मुद्दा एजेंडे से हटा दिया गया है।
इस प्रगति पर नजर रखने वाले सूत्रों का हालांकि कहना है कि यह समय बताएगा कि वे कब तक दबाव झेलने में सक्षम हो पाते हैं क्योंकि जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग ने एक्सचेंज को पहले ही बता दिया है कि किसी ब्रोकर को ऐंकर इन्वेस्टर के तौर शामिल किया जाना आयोग को असहज लग रहा है। हालांकि ऑन रिकॉर्ड एफएमसी ने इतना ही कहा है कि यह मामला एक्सचेंज के बोर्ड और शेयरधारक के बीच का है। संपर्क किए जाने पर जेसी के प्रवर्तक गौरव अरोड़ा ने कहा, मैंने एक्सचेंज में निवेशित रहने का फैसला किया है और मैं हिस्सेदारी नहीं बेचने जा रहा। इस संबंध में एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक रामलिंग रामशेषन को भेजे गए ईमेल का जबाब बिजनेस स्टैंडर्ड को नहीं मिला।
इस कंपनी को इस शर्त पर शेयरों का आवंटन हुआ था कि कंपनी एक्सचेंज का औसत मासिक कारोबार बढ़ाकर तीन सालों में किसी भी तीन लगातार महीने में क्रमश: कम से कम 7,000 करोड़ रुपये, 12,000 करोड़ रुपये और 16,000 करोड़ रुपये पर पहुंचा देगी जबकि शेयर आवंटन के समय कारोबार 3,000 करोड़ रुपये के स्तर पर था।
लेकिन पहले दो सालों में कंपनी अपने वादे के मुताबिक कारोबार बढ़ाने में नाकाम रही। तीसरे साल भी इसमें नाकामी का मतलब यह होगा कि कंपनी को शेयर की कीमतों के अंतर का भुगतान करने की दरकार होगी, जो करीब 130 करोड़ रुपये है। हालांकि पहले दो सालों में मासिक औसत कारोबार 5500-6700 करोड़ रुपये के दायरे में रहा।
इस प्रगति पर नजर रखने वालों ने बताया कि इसी वजह से गौरव अरोड़ा खरीदार की तलाश कर रहे हैं। किसी भी खरीदार ने अभी तक इसमें दिलचस्पी नहीं ली है। ऐसे चरण में किसी के लिए भी यह आसान नहीं होगा क्योंकि खरीदार को गौरव की तरफ से किए गए वादे को पूरा करना होगा। इस मामले में फैसला लेने के लिए 16 नवंबर को एनसीडीईएक्स की बैठक होने वाली है, जिसमें एंकर इन्वेस्टर जेपी कैपिटल की तरफ से कारोबार में इजाफा करने के वादे पर चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक, जेसी ने खरीदारों की तलाश का काम आनंद राठी व ऐंजल ब्रोकिंग को सौंपा है, जो फिलहाल इस पर काम कर रही हैं। गौरव अरोड़ा ने कहा, कारोबार में बने रहने के लिए हमारे पास दो विकल्प हैं, पहला, मूल कारोबार ब्रोकिंग में लौट जाएं या फिर एनसीडीईएक्स का एंकर निवेशक बने रहें। लेकिन फिलहाल हमने दूसरा विकल्प चुनने का फैसला किया है। इस बीच, श्री रेणुका शुगर्स के प्रबंध निदेशक नरेंद्र मुरकुंबी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एक्सचेंज में इस कंपनी की हिस्सेदारी 12.50 फीसदी है और यह दूसरा बड़ा हिस्सेदार है। (BS Hindi)
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