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04 अक्टूबर 2012
बेहतर उत्पादन की उम्मीद से निचले सर्किट पर कृषि जिंस
जाड़े में तैयार होने वाली कृषि जिंसों के वायदा कारोबार में बुधवार को नरमी रही और देश के राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर इसमें निचला सर्किट लगा। वैश्विक बाजार से संकेत ग्रहण करने और इस साल बंपर पैदावार की संभावना से वायदा कारोबार में ऐसा देखने को मिला और कई जिंसों में गिरावट दर्ज की गई। हाजिर मंडियों में नई फसल की आवक की शुरुआत के साथ ही सोयाबीन और अरंडी के सभी चालू अनुबंध बुधवार को निचले सर्किट के दायरे में आ गए। एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन और अरंडी के अक्टूबर अनुबंध 4 फीसदी फिसलकर क्रमश: 2951 रुपये प्रति क्विंटल और 3284 रुपये पप्रति क्विंटल पर आ गए। इसी तरह अक्टूबर में डिलिवरी वाला आलू का अनुबंध 4 फीसदी टूटकर 903.50 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया।
कृषि जिंसों की कीमतों में गिरावट महत्वपूर्ण है क्योंकि गर्मी में बोई गई फसल के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है, खास तौर से सोयाबीन की, जिसकी हिस्सेदारी तिलहन में सबसे ज्यादा है। भारतीय मौसम विभाग ने बारिश में कमी का अनुमान अक्टूबर की शुरुआत में 8 फीसदी कर दिया है जबकि पहले यह 31 फीसदी कम था। अगस्त की शुरुआत में मॉनसून में सुधार के चलते खरीफ की पैदावार बेहतर होने की उम्मीद बढ़ी।
ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक नवीन माथुर ने कहा, अगस्त में मॉनसून में सुधार से न सिर्फ खरीफ की पैदावार को समर्थन मिला बल्कि इसने रबी की बुआई की संभावनाओं में भी बढ़ोतरी कर दी। इससे कई कृषि जिंसों की कीमतें जुलाई की रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आ गईं। चूंकि देश व विदेश में फसलों की तैयारी जोर पकड़ रही है (खास तौर से तिलहन), लिहाजा पूरे तिलहन में मंदी छा गई है।
देर से बुआई के बावजूद पैदावार में बढ़ोतरी के अनुमान के चलते सोयाबीन का कुल उत्पादन इस साल 8 फीसदी बढऩे की उम्मीद है। इस सीजन में सोयाबीन का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 126.8 लाख टन पर पहुंच सकता है जबकि पिछले साल 116.5 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था।
सोपा को अनुमान है कि इस साल औसत पैदावार बढ़कर 1185 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर पहुंच जाएगी जबकि पिछले सीजन में यह 1127 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहा था। सोयाबीन का रकबा भी इस साल बढ़कर 106.95 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन मेंं 103.34 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई थी।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन (सोपा) के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने कहा, नए सीजन की फसल बाजार में आने लगी है। चूंकि इस सीजन में सोयाबीन के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है, लिहाजा कीमतें लुढ़क रही हैं। अग्रवाल ने कहा, सीजन की शुरुआत में बुआई में देरी के बावजूद इस साल देश सोयाबीन के रिकॉर्ड उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। बारिश में कमी और बाद में बारिश में सुधार के चलते शुरुआती नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली। चूंकि मॉनसूनी बारिस में दो महीने बाद यानी अगस्त के पहले हफ्ते सुधार हुआ, लिहाजा बुआई में भी आनुपातिक देरी हुई। शुरुआत में कम बारिश से हालांकि फसल के विकास में मदद मिली। जून में मॉनसून की बारिश की शुरुआत के साथ सोयाबीन की बुआई होती है और इसकी कटाई अक्टूबर में होती है। इस सीजन में बोई जाने वाली यह तिलहन की सबसे बड़ी फसल है।
एनसीडीईएक्स पर बेंचमार्क धान्य कृषि सूचकांक में 0.45 फीसदी की गिरावट आई जबकि एमसीएक्स पर एमसीएक्सएग्री 2.82 फीसदी टूटकर 2109.45 पर आ गया।
अरंडी, आलू और अन्य कृषि जिंसों के मामले में मॉनसून में सुधार से इसके रकबे में इजाफा हुआ है। माथुर ने कहा, देश में सोयाबीन के ज्यादा उत्पादन के अनुमान और अमेरिका में तेजी से हो रहे उत्पादन के साथ साथ मलयेशिया में पाम तेल के ज्यादा स्टॉक ने तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ाया है। (BS HIndi)
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