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19 अक्टूबर 2012
बांग्लादेशी जलमार्ग से त्रिपुरा पहुंचेगा अनाज
भारतीय खाद्य निगम अगले कुछ महीने में कोलकाता से अनाज का परिवहन उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा में करने के लिए भारत व बांग्लादेश की सीमा पर स्थित जलमार्ग का इस्तेमाल करेगा। इतिहास में पहली बार ऐसा होने वाला है।
एफसीआई चेयरमैन अमर सिंह के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की नदियों के जरिए खाद्यान्न का परिवहन बांग्लादेश के आशुगंज नदी बंदरगाह तक किया जाएगा और फिर वहां से ट्रक के जरिए इसे त्रिपुरा भेजा जाएगा। सिंह ने कहा, त्रिपुरा को अनाज की किल्लत का सामना करना पड़ता है और राज्य की अवस्थिति को देखते हुए पश्चिम बंगाल से वहां अनाज पहुंचने में वक्त लग जाता है। ऐसे में सहजता से अनाज के परिवहन की खातिर हमने बांग्लादेश सरकार से आशुगंज नदी बंदरगाह का इस्तेमाल करने के लिए समझौता किया है।
अनाज का परिवहन गंगा व पद्मा नदी के जरिए किया जाएगा और इसके लिए नौका का इस्तेमाल किया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा, एक नौके में करीब 1000-1200 टन अनाज का परिवहन किया जा सकता है और दिलचस्प यह है कि पारंपरिक ट्रकों के मुकाबले इसमें कम समय लगता है। कुल मिलाकर एफसीआई ने खुले में रखे गेहूं का करीब 81 फीसदी सुरक्षित जगहों पर भेजने में कामयाबी हासिल की है, जो देश भर में अनाज के परिवहन के बड़े मामलों में से एक था।
इस साल 1 जून से करीब 78 लाख टन अनाज (मुख्य रूप से गेहूं) असुरक्षित स्थानों पर रखा हुआ था और करीब 68 लाख टन अनाज सितंबर तक सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। सिंह ने कहा, एफसीआई रोजाना करीब 3.75 लाख टन गेहूं की ढुलाई करता है। आने वाले दिनों में बाकी स्टॉक भी सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया जाएगा। जून में खरीदी गई गेहूं की अतिरिक्त मात्रा का बड़ा हिस्सा असुरक्षित स्थानों पर पड़ा हुआ था। एफसीआई अनाज के भंडारण, खरीद और वितरण करने वाली नोडल एजंसी है और इसकी योजना अगले कुछ सालों में मानवीय श्रम के जरिए होने वाले संचालन में 80 फीसदी की कमी लाने की है।
इस साल एफसीआई और राज्य की एजेंसियों ने 381.4 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो 2011-12 के मुकाबले 35 फीसदी ज्यादा है। अधिकारियों ने कहा कि 1 अक्टूबर को एफसीआई के पास 710 लाख टन अनाज के भंडारण की जगह थी। (BS Hindi)
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