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26 अक्टूबर 2012
बासमती की कीमतों में उछाल
पंजाब और हरियाणा के बासमती उत्पादकों के चेहरे एक बार फिर दमकने लगे हैं क्योंकि इस साल नई फसल की कीमतें 20-25 फीसदी बढ़ गई हैं। निर्यातकों के मुताबिक, इस साल बासमती की कीमतें मोटे तौर पर किसानों की उम्मीद के मुताबिक हैं।
निर्यातकों का कहना है कि निर्यात में बढ़ोतरी, कैरीओवर स्टॉक में कमी और डॉलर के मुकाबले रुपये की आकर्षक विनिमय दर आदि कुछ ऐसी वजहें हैं जिसके चलते इस साल बासमती किसानों की बल्ले-बल्ले हो रही है। देश में बासमती के कुल उत्पादन में पंजाब और हरियाणा की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है।
बासमती निर्यातकों के मुताबिक, पूसा-1121 किस्म की कीमतें इस साल 2100-2300 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि पिछले साल इसकी कीमतें 1700 रुपये प्रति क्विंटल थी। पंजाब और हरियाणा में मुख्य रूप से पूसा-1121 किस्म उगाई जाती है और कुल रकबे में इसकी हिस्सेदारी करीब 75 फीसदी है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोट्र्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के अध्यक्ष एम पी जिंदल ने कहा कि इस साल बासमती की कीमतें 20-25 फीसदी बढ़ी हैं। हरियाणा राइस एक्सपोट्र्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल निर्यातकों के पास कैरीओवर स्टॉक में कमी और डॉलर की ऊंची कीमतों के चलते किसानों को ज्यादा रकम हासिल हो रही है।
चमन लाल सेतिया एक्सपोट्र्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक राजीव सेतिया ने कहा, नई फसल की कीमतों में इजाफे की मुख्य वजह यह है कि पिछले साल बासमती की कीमतें बहुत ज्यादा दबी रह गई थी।
पिछले साल पूसा-1121 की कीमतें 1500 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर पर चली गई थी। इस साल नई फसल की कीमतें काफी हद तक स्थिर रही हैं। एम पी जिंदल के मुताबिक, इस साल बासमती का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम रहने का अनुमान है। पिछले साल कुल उत्पादन 15 करोड़ बोरी रहा था जबकि इस साल उत्पादन में 6 फीसदी की गिरावट आएगी क्योंकि पारंपरिक बासमती के रकबे में कमी दर्ज की गई है।
जिंदल के मुताबिक, हालांकि इस साल बासमती का निर्यात पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा होगा क्योंकि इस वित्त वर्ष के शुरुआती दौर में यानी अप्रैल-जुलाई में काफी कुछ निर्यात हो चुका है। जिंदल का मानना है कि इस साल बासमती का निर्यात करीब 40 लाख टन रहेगा जबकि पिछले साल 32 लाख टन बासमती का निर्यात हुआ था। निर्यातकों का कहना है कि उच्च निर्यात की कामयाबी हासिल करना काफी कुछ ईरान के बाजार पर निर्भर करेगा, जो देश में भी बासमती की कीमतों की दिशा तय करेगी।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोट्र्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के महासचिव आर एस शेषाद्रि ने कहा, ईरान के बाजार में नकदी अगले 3-5 महीने के लिए बासमती की कीमतें तय करेंगी। कुल बासमती निर्यात में ईरान को 11 लाख टन का निर्यात होने का अनुमान है।
अमेरिकी प्रतिबंध के चलते ईरान डॉलर में कारोबार नहीं कर पा रहा है और इससे भारतीय निर्यातक बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए हैं। एक निर्यातक जगदीश सूरी ने कहा, बामसती की कीमतें ऊंची रहेंगी या नहीं, यह ईरान के बाजार पर निर्भर करेगा। अगर ईरान बासमती की खरीद करता है तो कीमतें ऊंची होंगी और इसकी तरफ से खरीदारी नहीं होने पर लंबी अवधि में कीमतें नीचे आएंगी। (BS Hindi)
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