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23 अक्टूबर 2012
खाद्य सुरक्षा के लिए मोटे अनाजों का भी उत्पादन बढ़ाने के प्रयास
आर एस राणा नई दिल्ली
प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक में अतिरिक्त खाद्यान्न की आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए सरकार ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। खरीफ बुवाई सीजन 2013 में मोटे अनाजों जैसे बाजरा, मक्का, ज्वार और रागी की फसलों को भी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत शामिल किया जाएगा। अभी तक एनएफएसएम में चावल, गेहूं और दलहन की फसलें ही शामिल थीं।
एनएफएसएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक में गेहूं, चावल और दलहनों के साथ ही मोटे अनाजों को भी शामिल किया गया है। प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत लाभार्थियों को गेहूं और चावल के साथ मोटे अनाजों में बाजरा का आवंटन भी किए जाने की योजना है। ऐसे में गेहूं, चावल के साथ ही मोटे अनाजों का भी उत्पादन बढ़ाना जरूरी है।
इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन स्कीम में मोटे अनाजों मक्का, बाजरा, ज्वार और रागी को भी शामिल करने की योजना बनाई है। खरीफ 2013 में होने वाली मोटे अनाजों की बुवाई एनएफएसएम के तहत होगी।
उन्होंने बताया कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत चावल, गेहूं और दलहनी फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी पर जोर दिया गया था। एनएफएसएम की योजनाओं के परिणामस्वरूप ही वर्ष 2011-12 में देश में चावल और गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन क्रमश: 10.43 और 9.39 करोड़ टन का हुआ था।
दलहन का उत्पादन भी वर्ष 2010-11 में देश में रिकॉर्ड 182.4 लाख टन का हुआ था। मोटे अनाजों मक्का, ज्वार, बाजरा और रागी की घरेलू खपत लगातार बढ़ रही है। मक्का की घरेलू खपत तो बढ़ ही रही है, साथ ही निर्यात में भी बढ़ोतरी हो रही है। जून-जुलाई में मानसूनी वर्षा कम होने से चालू खरीफ में मोटे अनाजों की पैदावार में कमी आने की आशंका है।
कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012-13 खरीफ सीजन में बाजरे का उत्पादन घटकर 66 लाख टन, ज्वार का उत्पादन 26.3 लाख टन और मक्का का 148.9 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2011-12 खरीफ में बाजरा का उत्पादन 100.5 लाख टन, ज्वार का 32.4 लाख टन और मक्का का 162.2 लाख टन का हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
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