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10 सितंबर 2012
बांग्लादेश और नेपाल से जूट की बोरियां आयात नहीं करेगा भारत
भारत सरकार ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है जिसमें नेपाल व बांग्लादेश ने साल 2012-13 में चीनी और खाद्यान्न की पैकिंग के लिए जूट की बोरियों की आपूर्ति करने की बात कही थी। जूट पैकेजिंक मैटीरियल ऐक्ट (जेपीएमए) 1987 के तहत चीनी और अनाज की 100 फीसदी पैकिंग जूट की बोरियों में करना अनिवार्य है। चूंकि चीनी और खाद्यान्न आरक्षित क्षेत्र के तहत आता है, लिहाजा केंद्रीय कानून मंत्रालय ने नेपाल और बांग्लादेश से जूट की बोरियां आयात करने पर ऐतराज जाहिर किया है। कानून मंत्रालय के मुताबिक, नेपाल से जूट की बोरियों के आयात की अनुमति देने में गंभीर तौर पर तकनीकी, कानूनी और नीतिगत समस्या है। कानून मंत्रालय ने गैर-आरक्षित क्षेत्र (खाद्यान्न व चीनी को छोड़कर) के लिए ऐसे आयात की अनुमति दी है।
इसके अतिरिक्त, जूट की कीमतें टैरिफ कमिशन 2001 द्वारा तय कीमत फॉर्मूले के आधार पर निर्धारित है और इसकी खरीद डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सप्लाई ऐंड डिस्पोजल (डीजीएसडी) या नैशनल कम्पटिटिव बिडिंग (एनसीबी) के जरिए होती है। नेपाल और बांग्लादेश में जूट की बोरियों की गुणवत्ता की जांच करने का अधिकार डीजीएसडी को नहीं है।
इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजीएमए) के चेयरमैन मनीष पोद्दार ने कहा - 'नेपाल और बांग्लादेश से जूट की बोरियां आयात करने का प्रस्ताव है, लेकिन केंद्र ने इसे रोक दिया है। किसी भी मामले में घरेलू जूट उद्योग आत्मनिर्भर है और चीनी व खाद्यान्न की पैकिंग के लिए जूट की बोरियों की आपूर्ति करने में सक्षम है।'
एक ओर जहां अनाज की पैकिंग के लिए करीब 10 लाख टन जूट की बोरियों की दरकार है, वहीं चीनी की पैकिंग के लिए 2 लाख टन। जूट उद्योग के पास 15 लाख टन बोरियों के उत्पादन की क्षमता है और यह क्षमता सरकार की तरफ से पीक सीजन में होने वाली मांग के मुकाबले 5.5 लाख टन ज्यादा है। 16 मई को बांग्लादेश के जूट मंत्री अब्दुल लतीफ सिद्दिकी ने पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को पत्र लिखकर भारत में खाद्यान्न के बढ़ते उत्पादन को देखते हुए जूट की बोरियों की आपूर्ति की मांग की थी। सिद्दिकी ने लिखा था - बोरियों की आपूति की दिक्कत से चिंता हो रही है और बड़ी मात्रा में अनाज खुले में रखा हुआ है और खराब हो रहा है। हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है और हम इसकी तत्काल आपूर्ति कर सकते हैं। बांग्लादेश में सालाना 5 लाख टन जूट की बोरियों का उत्पादन होता है जबकि भारत में 11 लाख टन। बांग्लादेश में कच्चे जूट का उत्पादन करीब 50 लाख गांठ (एक गांठ में 180 किलोग्राम) है जबकि भारत में 110 लाख गांठ। निर्यात बाजार में हालांकि बांग्लादेश बड़ा खिलाड़ी है और ज्यादातर माल वह छूट पर बेचता है और इसकी भरपाई सरकारी सब्सिडी से होती है। बांग्लादेश जहां अपने कुल उत्पादन का करीब 60 फीसदी हिस्सा निर्यात कर देता है, वहीं भारत महज 10-12 फीसदी ही निर्यात करता है।
इसके अतिरिक्त, नेपाल जूट मिल्स एसोसिएशन ने भी भारतीय कपड़ा मंत्रालय से संपर्क किया है और जेपीएमए अधिनियम 1987 में संशोधन की मांग की है। साथ ही नेपाल ने यह भी कहा है कि अनाज व चीनी की पैकिंग की खातिर उसे जूट की बोरियों की आपूर्ति की अनुमति दी जाए। नेपाल में 15,000 टन जूट की बोरियों का उत्पादन होता है।
(BS Hindi)
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