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31 अगस्त 2012
आवश्यक वस्तुओं के भाव पर मंत्रालय की नजर
पैदावार में कमी और आवक में देरी के चलते आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में आ रही उछाल को रोकने के लिए खाद्य मंत्रालय ने कई कदम उठाने का प्रस्ताव रखा है। पहला, मंत्रालय का कहना है कि अक्टूबर से दालों और खाद्य तेलों पर स्टॉक की सीमा का विस्तार एक और वर्ष के लिए कर दिया जाना चाहिए। मौजूदा समय में यह प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के चरण में है। हालांकि अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि स्टॉक सीमा का ऐलान सब्सिडी योजना में सुधार के साथ किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्टॉक सीमा का विस्तार चावल पर भी किया जा सकता है, जिसे पिछले साल छह राज्यों पर लगाया गया था।
दूसरी ओर मंत्रालय ने बाजार में चीनी की कीमतों पर लगाम कसने के लिए इसकी अतिरिक्त मात्रा बाजार में उतारने की योजना बनाई है। यह मात्रा गैर-लेवी चीनी की श्रेणी में होगी और 10 फीसदी लेवी कोटे का वितरण नहीं किया जाएगा। वैश्विक व घरेलू बाजार में कीमतों के अंतर से चीनी निर्यात वस्तुत: बंद हो गया है। देसी बाजार में चीनी 33-34 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है।
इसके अतिरिक्त पीडीएस के तहत दालों व खाद्य तेलों का वितरण पूरी तरह सब्सिडी वाली कीमतों पर करने की योजना है। मौजूदा समय में दो योजनाएं हैं, जिसके तहत इन दोनों जिंसों की खरीद होती है। एक के तहत नैशनल कोऑपरेटिव कंज्ूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड दालों व खाद्य तेलों का वितरण पीडीएस के जरिए सब्सिडी वाली कीमतों पर करता है। एनसीसीएफ को खरीद लागत के 25 फीसदी की दर से भुगतान मिलता है। एक और योजना है जहां नेफेड दालों की खरीद व वितरण करता है, लेकिन इसे खरीद लागत का 15 फीसदी हिस्सा मिलता है।
अधिकारियों ने कहा कि किसी भी योजना में एजेंसियां खरीद व वितरण की लागत हासिल कर पाती हैं, ऐसे में मंत्रालय व नेफेड इसे सुनिश्चित करना चाहता है। शुरू में बारिश के असमान वितरण के चलते दलहन व तिलहन की ज्यादातर फसल में या तो कमी है या फिर इसकी आवक देर से होगी। दोनों ही मामलों में कीमतों के मजबूत रहने की संभावना है। सरकार दालों व तेल के आयात के लिए प्रावधान कर चुकी है। मॉनसून सीजन में दलहन का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले घटा है, साथ ही तिलहन का भी। पिछले तीन साल से भारत ने औसतन 25-35 लाख टन दाल और 80-90 लाख टन खाद्य तेल का आयात का है। (BS Hindi)
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