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19 जुलाई 2012
भंडारण सीमा तय करेगी सरकार!
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के सुस्त होने के आसार देखकर उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय चौकस हो गया है। मंत्रालय अब जरूरी जिंसों की कीमतों पर नियंत्रण रखने की कोशिश में जुट गया है।
इसके लिए मंत्रालय दाल, खाद्य तेल और चीनी की भंडारण सीमा तय करने के साथ ही चीनी पर निर्यात शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है। सरकार अगले 15 दिन में चावल, गेहूं और चीनी की निर्यात नीति की समीक्षा करेगी। अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय आने वाले त्योहारी मौसम को ध्यान में रखते हुए कदम उठा रहा है क्योंकि सितंबर के बाद जरूरी खाद्य पदार्थों की मांग आमतौर पर बढ़ जाती है। खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने इस बात की पुष्टि की कि कीमतों पर नियंत्रण रखने और जमाखोरी रोकने के लिए सरकार ऐसा कर रही है। थॉमस ने कहा, 'हम खाद्य जिंसों की भंडारण सीमा तय करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।' सरकार खाद्य पदार्थों की जमाखोरी रोकने के लिए इसका इस्तेमाल करती है।
पिछले साल बंपर उत्पादन होने पर सरकार ने कई खाद्य पदार्थों की भंडारण सीमा समाप्त कर दी थी। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के चेयरमैन अशोक गुलाटी ने कहा, 'मुझे खासतौर पर दालों की चिंता है। मॉनसून खराब रहने की आशंका में दाल के दाम में तेजी आनी शुरू हो गई है।' उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 1 जून से लेकर अभी तक अरहर दाल का भाव 8 फीसदी बढ़ चुका है। इस दौरान चीनी का भाव 9.3 फीसदी, मूंगफली का तेल 13 फीसदी और सरसों तेल 16 फीसदी चढ़ चुका है। भारतीय कृषि के लिए अहम दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अभी तक सामान्य से 21 फीसदी कम रहा है। मंगलवार को ही कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा था कि चावल और गेहूं के भाव नियंत्रण में हैं लेकिन दलहन और तिलहन को लेकर वह चिंतित हैं। जून में खाद्य महंगाई बढ़कर 10.81 फीसदी हो गई, जो मई में 10.74 फीसदी थी। इस दौरान अधिकारियों ने कहा कि चीनी के बढ़ते दाम पर काबू पाने के लिए सरकार लेवी चीनी कोटे को मौजूदा 10 फीसदी से घटाकर 4-5 फीसदी करने पर भी विचार कर रही है। अधिकारी ने कहा, 'इससे बाजार में ज्यादा चीनी आएगी और आपूर्ति बेहतर होगी, जिससे दाम नियंत्रण में रहेंगे।' (BS Hindi)
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