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06 अप्रैल 2011
थोड़े समय तक तांबे में रहेगी नरमी
मुंबई April 05, 2011 अगले दो महीने में तांबे की कीमतों में 3 फीसदी की गिरावट आ सकती है और इसके भाव 9000 डॉलर प्रति टन के नीचे पहुंच सकते हैं। यह बात जीएफएमसी के तांबा सर्वेक्षण में बताई गई है। इस स्थिति के लिए औद्योगिक विकास को लेकर बनी अनिश्चितता, यूरोप में गहराते कर्ज संकट और औद्योगिक उत्पादन के अनिश्चित अनुमानों को जिम्मेदार माना जा रहा है। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में तांबे की कीमत अभी 9,300 डॉलर प्रति टन के आसपास है। इस सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि पिछले साल की दूसरी छमाही में तांबे का बाजार घाटे में चला गया था। इसके लिए कई देशों में बढ़ी खपत, चीन से बढ़े आयात और खान उत्पादन में उतार-चढ़ाव को जिम्मेदार माना गया। शुद्ध तांबे का उत्पादन बढऩे के बावजूद इसकी खपत ज्यादा रही और सर्वेक्षण के मुताबिक इन दोनों के बीच 2.86 लाख टन का अंतर रहा। जीएफएमएस में तांबे के वरिष्ठï विश्लेषक निकोस कवालिस ने बताया, 'तांबे में हुए बुनियादी सुधार की वजह से कर्ज संकट पैदा होने के बाद इसमें निवेशकों की दिलचस्पी एक बार फिर जगी। बाजार में तंग स्थिति और निवेशकों की बढ़ी दिलचस्पी की वजह से 2010 के आखिरी दिनों और 2011 के शुरुआती दिनों में तांबा अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा। 14 फरवरी को इसकी कीमत 10,148 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई।Ó सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि इस साल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और शुद्ध तांबे का उत्पादन भी मांग को पीछे छोड़ देगा। इसके बावजूद आशंका व्यक्त की जा रही है कि चालू साल के अंत तक बाजार घाटे में ही रहेगा। हालांकि, स्थिति में सुधार की संभावना से भी सर्वेक्षण ने इनकार नहीं किया है। चीन में मौद्रिक नीतियों को सख्त किए जाने और यूरोपीयन सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने की वजह से निकट भविष्य में तांबे पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। ऐंजल ब्रोकिंग में निदेशक (कमोडिटीज ऐंड करेंसिज) नवीन माथुर कहते हैं कि जापान से भी मांग में कमी आई है। हालांकि, माथुर ने यह भी कहा कि जब तीन महीने में जापान की सरकार बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने का काम शुरू करेगी तो एक बार फिर मांग में तेजी दिख सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में विनिर्माण संबंधी गतिविधियां तेज हैं और इस वजह से साल के अंत तक मांग और कीमतों में तेजी आ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक कुछ समय बाद तांबे में निवेशकों की दिलचस्पी और बढ़ेगी और मौजूदा साल की दूसरी छमाही में इसकी कीमतें 11000 डॉलर प्रति टन की नई ऊंचाई हासिल कर सकती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2010 में वैश्विक स्तर पर खनन में 0.8 फीसदी कमी आई। पिछले साल कुल 1.59 करोड़ टन तांबे का खनन हुआ। इसमें सबसे ज्यादा 1.14 लाख टन उत्पादन चीन में हुआ। वहीं अमेरिका और पेरु में गिरावट दर्ज की गई। जबकि चिली और कनाडा में खनन में मामूली बढ़ोतरी हुई। खनन में मामूली बढ़ोतरी के बावजूद 2010 में शुद्ध तांबे के वैश्विक उत्पादन में 3.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस दौरान खपत में 11.3 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। (BS Hindi)
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