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15 अप्रैल 2011
नई तकनीक से मूंगफली की पैदावार बढ़ेगी
मुंबई April 14, 2011 गुजरात के कुछ किसान मूंगफली की पैदावार बढ़ाने के लिए चीन की तकनीक (मल्चिंग टेक्नोलॉजी) का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए भारत में मूंगफली की खेती का कायापलट हो सकता है क्योंकि भारत में अपनाई जा रही परंपरागत तकनीक के मुकाबले इस तकनीक में तीन गुना तक ज्यादा पैदावार की क्षमता है। इस तकनीक का फायदा उठाने के लिए शुरुआती तौर पर पायलट आधार पर 50 एकड़ जमीन में मूंगफली की बुआई की गई है। पौधों की शुरुआती विकास से पता चलता है कि यह संतोषजनक है। ऐसे में किसानों को भरोसा है कि मल्चिंग शीट्स के नीचे लगाए गए पौधे से खुले आसमान के मुकाबले ज्यादा पैदावार होगी। चीनी कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित मल्चिंग टेक्नोलॉजी में नमी से संरक्षण व अधिकतम पैदावार की खातिर मूंगफली के पौधे को स्पेशल मल्चिंग प्लास्टिक शीट्स से ढकने की जरूरत होती है। इंडियन ऑयलसीड्स ऐंड प्रड्यूस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन नीलेश वीरा ने कहा - मूंगफली की खेती में इस्तेमाल होने वाली परंपरागत तकनीक के मुकाबले इस तकनीक में 2 से 3 गुना ज्यादा पैदावार की क्षमता है। इसका मतलब यह हुआ कि इस तकनीक के जरिए भारत में मूंगफली की खेती का कायापलट हो सकता है। परंपरागत तकनीक के जरिए होने वाली मूंगफली की खेती में मौजूदा समय में 700-900 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की पैदावार होती है, जो वैश्विक औसत 2200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले एक तिहाई है। इसके मुकाबले चीन में मूंगफली की पैदावार 2300-2400 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है जबकि अमेरिका व अर्जेंटीना में इसकी पैदावार क्रमश: 3000 और 2800 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। वीरा ने कहा कि ट्रायल आधार पर हमने गुजरात में यह तकनीक अपना ली है। अगर यह अच्छा साबित हुआ तो मूंगफली की खेती में नई तकनीक का विस्तार देश के दूसरे हिस्से में भी किया जाएगा। इस तकनीक का फायदा यह है कि फसल को मॉनसून की बारिश पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती। (BS Hindi)
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