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10 जुलाई 2010
पवार का बयान किसके लिए?
नई दिल्ली चीनी उद्योग को डिकंट्रोल करने की हिमायत शरद पवार ने ऐसे समय की है जब वह चंद रोज पहले ही मंत्रालय छोड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में पहला सवाल तो यही उठता है कि जब वह मंत्रालय छोड़ रहे हैं तब ऐसे बयान का क्या मतलब है। कल अगर कोई और शख्स मंत्रालय संभालता है तो वह अपने हिसाब से नियम तय कर सकता है। दूसरा सवाल यह है कि पवार का यह बयान किसके लिए है? पिछले सीजन में चीनी उत्पादन को लेकर उनकी बयानबाजी जगजाहिर है। पिछले साल अगस्त में उन्होंने बयान दिया कि चीनी उत्पादन घटकर 160 लाख टन रह जाएगा। देश में चीनी की सालाना खपत 225-230 लाख टन है। उनके इसी बयान के बाद चीनी 50 रुपये किलो के भाव को पार कर गई थी। पवार के बयान के विपरीत उत्पादन 189 लाख टन रहा और पुराने स्टॉक को जोड़कर उपलब्धता सालाना खपत के आसपास रही। आज जब पवार ने डिकंट्रोल का बयान दिया तो सभी चीनी कंपनियों के शेयर उछल गए। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि पवार का यह बयान आखिर किसके लिए है?डिकंट्रोल के मायने सरकार मिलों द्वारा खुली बिक्री के लिए चीनी का मासिक कोटा जारी करना बंद कर देगीलेवी चीनी देने की बाध्यता से भी मुक्त हो जाएंगी मिलें चीनी मिलों के लिए गन्ने का एरिया भी नियंत्रण मुक्त हो जाएगा ऐसे में केवल चीनी मिलों को ही गन्ना देने के लिए बाध्य नहीं होंगे किसान (बिसनेस भास्कर....आर अस राणा)
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