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13 जुलाई 2010
फ्लोर प्राइस तय न होने से शुरू नहीं हो पाई गेहूं बिक्री
नई दिल्ली भले ही सरकार ने पिछले साल के मुकाबले खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री तीन माह पहले शुरू करने की योजना बनाई है और इसके लिए 50 लाख टन का भारी-भरकम आवंटन भी किया है लेकिन अभी फ्लोर मिलों और अन्य औद्योगिक उपभोक्ताओं को नीलामी के जरिये गेहूं बिक्री का फ्लोर प्राइस ही तय नहीं हो पाया है। इस वजह से करीब आधा जुलाई गुजर जाने के बाद भी बिक्री शुरू नहीं हो पाई है। रेलवे ने गेहूं के ढुलाई भाड़े से प्राइम फ्रेट सरचार्ज हटा लिया है इसलिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) इसका लाभ फ्लोर मिलों को देना चाहती है लेकिन इससे गेहूं के फ्लोर प्राइस में सिर्फ 2-13 रुपये की कमी आएगी। जबकि खुले बाजार में गेहूं के दाम 20 रुपये तक कम भाव पर बिक रहा है। खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मंडियों के मुकाबले नीलामी का फ्लोर प्राइस कम होगा, तभी केंद्रीय पूल के गेहूं खरीद में औद्योगिक उपभोक्ता दिलचस्पी नहीं लेंगे।सूत्रों के अनुसार रेलवे ने खाद्यान्न की ढुलाई के भाड़े पर लगने वाला सात फीसदी प्राइम फ्रेट सरचार्ज हटा लिया है। एफसीआई संभावित मूल्य में से यह कम करने को तैयार है लेकिन इससे फ्लोर प्राइस सिर्फ 2-13 रुपये ही कम होगा। इसके आधार पर दिल्ली में गेहूं खरीद की निविदा भरने का फ्लोर प्राइस 1,254 रुपये से घटकर 1,252 रुपये प्रति क्विंटल रह जाएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री का फ्लोर प्राइस पिछले साल के एमएसपी में परिवहन खर्च जोड़कर निर्धारित करने का फैसला किया है। पिछले साल एमएसपी 1,080 रुपये प्रति क्विंटल था। इसका अर्थ हुआ कि 1080 रुपये में भाड़ा जोड़कर गेहूं नीलामी का फ्लोर प्राइस तय होगा। रोलर फ्लोर मिलर्स फैडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा ने बताया कि दिल्ली बाजार में गेहूं का भाव 1,230-1,232 रुपये प्रति क्विंटल है। एफसीआई का गेहूं उठाने में फ्लोर मिलो को करीब 25-30 रुपये रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त खर्चा लगता है, साथ ही अग्रिम भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में प्राइम फ्रेट सरचार्ज हटने के बाद भी सरकारी गेहूं का मूल्य फ्लोर मिलों के लिए आकर्षक नहीं है। जून महीने में उच्चधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की बैठक में ओएमएसएस के तहत औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए 50 लाख टन गेहूं का आवंटन करने का फैसला लिया गया था। इसकी बिक्री जुलाई से अगले मार्च के मध्य होनी है। लेकिन जुलाई महीने का प्रथम पखवाड़ा समाप्त होने वाला है लेकिन मूल्य तय न होने से बिक्री शुरू नहीं हो पाई है। पिछले साल सरकार ने अक्टूबर से जून के बीच बिक्री के लिए 20.81 लाख टन गेहूं आवंटित किया था। एफसीआई के सूत्रों के अनुसार पिछले साल के कुल आवंटन में से केवल 12.49 लाख टन गेहूं की निविदा भरी गई। उसमें से उठान सिर्फ 12.41 लाख टन गेहूं का ही हो पाया है। केंद्रीय पूल में एक जुलाई को गेहूं का 335.84 लाख टन का भारी-भरकम स्टॉक बचा था। चालू विपणन सीजन में एफसीआई ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 225 लाख टन गेहूं की खरीद की है जो पिछले साल के 253 लाख टन से कम है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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